पद्मावती : कोर्ट का चढ़ा पारा, CM तक को नहीं छोड़ा
मुंबई। पद्मावती के विरोधी अभी तक अपने फैसले पर टिके हुए हैं। लंबे समय से फिल्म का विरोध कर रहे उन लोगों का मन बदलने का नाम ही नहीं ले रहा है। सिर्फ राजपूत समाज और करणी सेना से जुड़े लोग ही नहीं राजनीतिक दल से जुड़े लोग भी पद्मावती के विरोध पर टिप्पणी करने से पीछे नहीं रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी उन लोगों को फटकार लगाई है।
बीते काफी समय से संजय लीला भंसाली का वक्त काफी बुरा चल रहा है। फिल्मी दुनिया से जुड़े सभी लोगों का ये मानना है कि जो कुछ भी भंसाली के साथ हुआ है या हो रहा है वो किसी दुश्मन के साथ भी नहीं होना चाहिए।
जहां हर तरफ से भंसाली और उनकी फिल्म के लिए केवल मुश्किलें ही खड़ी हुई हैं। वहीं कोर्ट की ओर से भंसाली के लिए हमेशा खुशियों ने ही दस्तक दी है। बात चाहे सुप्रीम के फैंसले की हो या बॉम्बे हाई कोर्ट की दोनों ने ही भंसाली का समर्थन करते हुए उनके हक में फैसला सुनाया।
न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि बॉम्बे हाई ने साबित कर दिया कि कानून हमेशा सच और सही के साथ होता है। इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने आदेश से ये साफ जाहिर कर दिया कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब ये नहीं कि कोई भी कुछ भी बोल दे। ‘अभिव्यतक्ति की आजादी’ का नाजायज फायदा उठाते हुए ऊंचे पद पर बैठे लोग भी किसी के मान को न तो ठेस पहुंचा सकते हैं न ही उनपर ऊट-पटांग बयान दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों के बाद अब बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला भी सामने आ गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम फिल्म के रिलीज को रोकने के लिए खुलेआम धमकियां दे कर, फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की हत्या पर ईनाम का ऐलान कर, एक देश के तौर पर हम कहां जा रहे हैं।
जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और भारती डांगरे की बेंच ने कहा, ‘ऐसा और किस देश में आपने कलाकारों को खुलेआम धमकियां देते हुए देखा है? यह जानना बहुत दुखद है कि एक कलाकर जो काफी मेहनत से एक फिल्म बनाता है वो कुछ लोगों से मिल रही लगातार धमकियों की वजह से उसे रिलीज नहीं कर पा रहा है। इस देश में एक फीचर फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। ये कहां आ गए हैं हम?’
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उन्होंने कहा, ‘आज कोई भी शख्स आकर ऐलान कर दे रहा है कि आप एक खास अभिनेता या अभिनेत्री को मार कर आओगे तो आपको इनाम दिया जाएगा। यहां तक कि कई मुख्यमंत्री भी ऐलान कर रहे हैं कि वो अपने राज्यो में फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे। यह एक तरह की सेंसरशिप है। अगर यह सब देश के प्रभावशाली और वित्तीय रुप से मजबूत लोगों के साथ हो रहा है तो पता नहीं गरीबों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा?’
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, मुख्यमंत्रियों और बाकी लोगों को जमकर झाड़ लगाई थी। कोर्ट अबतक अपने सभी फैसलों में ये साफ करती आई है कि जबतक फिल्म पर सीबीएफसी कोई फैसला नहीं लेती है तबतक कोर्ट कोई कदम नहीं उठा सकती है।
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पिछली याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक कार्यालयों में बैठे लोगों को ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक फिल्म बिना देखे कोई इसपर टिप्पणी कैसे कर सकते हैं।
कोर्ट के मुताबिक जिम्मेदार पदों और पब्लिक ऑफिस में बैठे लोगों की बयानबाजी फिल्म को लेकर बंद हो। इन बयानबाजी का सीधा असर सेंसर बोर्ड के फैसले पर पड़ सकता है। कोर्ट ने इससे पक्षपात होने की आशंका जताई है। ऐसा करना कानून के राज्य के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
विरोधिों के मुताबिक, फिल्म में ऐतिहासिक पक्ष से छेड़ छाड़ की गई है। इसे लेकर कुछ लोगों दीपिका की नाक काटने और भंसाली का सिर काटने पर इनाम रखा था। फिल्म पहले 22 दिसंबर को रिलीज होने वाली थी जिसकी रिलीज डेट अब टल चुकी है। नई डैट अभी तक नहीं मिली है।