नन्हे पौधों को नुकसान से बचाने के लिए वन विभाग करेगा ये बड़ा काम

लखनऊ| उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ व राज्य के अन्य जिलों में जुलाई माह में होने वाले पौधरोपण अभियान से पहले अब उन जगहों पर मिट्टी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी, जहां पौधों का नुकसान न हो।

पौधरोपण अभियान
अधिकारियों का दावा है कि समय से पहले जांच होने से यह पता लग पाएगा कि जिस मिट्टी में पौधे लगाया जाना है, वहां उसके विकास की कितनी संभावनाएं हैं। इसके बाद ही पौधे रोपे जाएंगे और उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी मनरेगा जॉबकार्ड धारकों को सौंपी जाएगी।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पौधरोपण से पहले मिट्टी का पीएच मान की परख की जाएगी। नतीजे आने के बाद मिट्टी के मिजाज के अनुरूप ही फलदार एवं छायादार वृक्ष लगाए जाएंगे, ताकि पौधे खूब तेजी से बढ़ें और फलें।

अधिकारियों ने बताया कि मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों जैसे हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश पौधे के विकास में काफी सहायक होते हैं। साथ ही प्रत्येक मिट्टी की अपना पीएच मान होता है। यदि उचित पीएच मान के अनुरूप ही उस मिट्टी में पौधे लगाए जाएंगे तो उनके बचने की संभावना काफी अधिक होती है।

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एनबीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक, 6.5 एवं 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसी को ध्यान में रखकर इस बार पूरे राज्य में पौधरोपण का अभियान चलाया जाएगा। मिट्टी की जांच के लिए सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “राज्य में पौधरोपण के लिए इस समय तीन योजनाएं चलाई जा रही हैं, मुख्यमंत्री सामुदायिक वानिकी योजना, मुख्यमंत्री कृषक वृक्ष धन योजना एवं मुख्यमंत्री फलोद्यान योजना। शासनादेश के मुताबिक, वर्ष 2018-19 में केवल लखनऊ जिले में ही 1120 हेक्टेयर जमीन पर करीब 21 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है।”

विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, हालांकि हर पौधे के लिए अलग पीएच मान होता है। अमरूद के लिए पीएच मान 5.5 से 7.8 के बीच होता है जबकि नीम के लिए 4.5 से 10 तक होता है। यूकोलिप्टस के लिए पीएच मान 6.5 से लेकर 7.5 के बीच होता है। आंवला के लिए 7.8 से 8.5 और आम के लिए 5.5 से 7.5 तक होता है।

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हालांकि पौधरोपण अभियान के बाद अक्सर देखने में आता है कि पौधे सूखने लगते है, क्योंकि उनकी समुतचित देखभाल नहीं हो पाती है। इसके लिए अब मनरेगा जॉबकार्ड धारकों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। इसके लिए मनरेगा जॉबकार्ड धारक को 90 दिन का काम दिया जाएगा। पौधे में पानी देने और उनका रक्षा की जिम्मेदारी जॉबकार्ड धारक की होगी। इस अभियान में ग्राम पंचायतों को भी उत्तरदायी बनाया जाएगा।

एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस.के. तिवारी ने बताया, “6.5 से लेकर 7.5 पीएच मान की मिट्टी फलदार एवं छायादार पौधों के लिए उपयुक्त होती है। यदि नारयिल को लखनऊ में लगाया जाएगा तो वे किसी तरह विकसित तो हो जाएगा, लेकिन उसमें फल नहीं आएगा।”

उन्होंने बताया कि यदि मिट्टी की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों के अनुसार पौधे लगाए जाएंगे तो इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे।

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