श्री राम की आरती करने पर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ फतवा, ‘इस्लाम से ख़ारिज’

श्री रामवाराणसी। सुप्रीमकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए तीन तलाक के मामले में मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत दी थी। बावजूद इसके मुस्लिम महिलाओं की स्थिति नहीं सुधर पाई है। इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुम उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं को सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट न करने का फतवा जारी किया था। जिसके बाद दारुम उलूम ने इन महिलाओं को इस्लाम से बाहर करने का फरमान सुना दिया है।

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मामला वाराणसी का है जहां दिवाली के मौके पर मुस्लिम महिलाओं ने भगवान राम की पूजा व आरती की थी। जिसके बाद दारुम उलूम ने इसको गुनाह मानते हुए इस्लाम से ख़ारिज कर दिया।

दारुल उलूम ज़करिया के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत कर सकता है। जिन महिलाओं ने दूसरे धर्म के लिए यह काम किया है वह इस्लाम से भी खारिज है। उनका कहना है कि मुसलमान दूसरे धर्म का सम्मान कर सकता है लेकिन यूँ पूजा-पाठ नहीं कर सकता है।

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गौरतलब है कि एक संस्था के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नाजनीन अंसारी समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में लिखी श्रीराम की आरती का पाठ किया था।

मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि वे अपनी गलती मान दोबारा कलमा पढ़ इमान में दाखिल हों।

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