
नोएडा के कुख्यात निठारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी न्यायिक राहत मिली है। मंगलवार 11 नवंबर 2025 को शीर्ष अदालत ने उनकी क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार करते हुए अंतिम लंबित मामले में सजा रद्द कर दी और तत्काल रिहाई का आदेश जारी किया।
कोली, जो 2006 के इस सनसनीखेज कांड के बाद से जेल में बंद थे, अब सभी 16 मामलों से बरी हो चुके हैं। बुधवार सुबह उन्हें नोएडा जेल से रिहा कर दिया गया। यह फैसला सबूतों की कमी और जांच में प्रक्रियागत खामियों के आधार पर लिया गया है, जिसने पूरे देश में एक बार फिर इस कांड को सुर्खियों में ला दिया।
निठारी कांड 2005-2007 के बीच नोएडा के निठारी गांव में हुआ था, जब सेक्टर-31 स्थित डी-5 हाउस के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए थे। सुरेंद्र कोली, जो मोनिंदर सिंह पंढेर के घर में नौकर था, पर इन हत्याओं, बलात्कार और अमानवीय कृत्यों का आरोप लगा था। इस घटना ने देश को झकझोर दिया था और जांच एजेंसियों पर गंभीर सवाल उठाए थे। कोली पर कुल 16 मुकदमे चले, जिनमें से 12 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें पहले ही बरी कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि एक ही प्रकार के सबूत—जैसे एक बयान और किचन से मिले चाकू—के आधार पर केवल एक मामले में सजा देना न्याय के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2011 के अपने पुराने फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कोली को 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। साथ ही 28 अक्टूबर 2014 के उस आदेश को भी खारिज कर दिया गया, जिसमें उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज हुई थी। जस्टिस विक्रम नाथ, सूर्यकांत और मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की पीठ ने स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष ठोस और विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने रिम्पा हलदर हत्याकांड (IPC धारा 302, 364, 376 और 201 के तहत) में कोली को बरी करते हुए निर्देश दिया कि यदि कोई अन्य मामला लंबित न हो, तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। इससे पहले 2023 में सह-आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को भी सभी मामलों से बरी कर दिया गया था।
सुरेंद्र कोली ने 19 साल जेल में बिताए, जिसमें मौत की सजा भी सुनाई गई थी, लेकिन अपीलों के बाद यह अंतिम राहत मिली। जेल अधिकारियों ने बुधवार सुबह औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें रिहा कर दिया।





