दिल्ली धमाके के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर NAAC का शिकंजा: वेबसाइट पर झूठी मान्यता दिखाने के आरोप, कारण बताओ नोटिस जारी

दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए कार बम विस्फोट की जांच के बीच फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने सख्त कार्रवाई की है।

परिषद ने विश्वविद्यालय को अपनी वेबसाइट पर गलत और समाप्त हो चुकी मान्यता की जानकारी प्रदर्शित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अधिकारियों के अनुसार, यह नोटिस 12 नवंबर 2025 को जारी किया गया, जो दिल्ली धमाके के मात्र दो दिन बाद आया है। NAAC का कहना है कि यह जानकारी छात्रों, अभिभावकों और हितधारकों को गुमराह कर रही है। इस बीच, विश्वविद्यालय की वेबसाइट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, और यूनिवर्सिटी ने गिरफ्तार डॉक्टरों से खुद को अलग करते हुए कहा है कि उनका इससे कोई संबंध नहीं है।

NAAC के नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी न तो NAAC से मान्यता प्राप्त है और न ही इसकी आवेदन किया है। फिर भी, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत तीन कॉलेज संचालित हो रहे हैं: अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, NAAC A ग्रेड प्राप्त), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (2008 से) और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, NAAC A ग्रेड प्राप्त)।

NAAC के अधिकारियों ने बताया कि इंजीनियरिंग और एजुकेशन स्कूलों की मान्यता 2013 में साइकिल-1 के तहत B ग्रेड (CGPA 2.63) के साथ मिली थी, जो केवल पांच वर्ष के लिए वैध थी और 2018 तक नवीनीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज (SSR और IIQA) जमा नहीं किए गए। इसके बावजूद पुरानी मान्यता का दावा जारी रखना गलत और भ्रामक है। नोटिस में सात विशिष्ट सवाल पूछे गए हैं, जिनका जवाब सात दिनों के अंदर मांगा गया है। यदि जवाब संतोषजनक न मिला, तो NAAC UGC को सूचित कर एकतरफा कार्रवाई करेगा, जिसमें मान्यता को शून्य घोषित करना शामिल हो सकता है।

परिषद ने विश्वविद्यालय को तत्काल निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट, प्रचार सामग्री और किसी भी सार्वजनिक दस्तावेज से NAAC से जुड़ी सभी मान्यता संबंधी जानकारी हटा दे और अनुपालन की पुष्टि करे। NAAC एक स्वायत्त संस्था है जो उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करती है। इस नोटिस के जारी होने के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई, जो जांच का हिस्सा मानी जा रही है।

दिल्ली धमाके का मामला 10 नवंबर 2025 को शाम करीब 6:52 बजे लाल किले मेट्रो स्टेशन गेट नंबर 1 के पास एक धीमी गति से चल रही कार में विस्फोट से जुड़ा है। इस हाई-इंटेंसिटी ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 25 से अधिक घायल हैं, जिनका इलाज LNJP अस्पताल में चल रहा है। केंद्र सरकार ने इसे ‘आतंकी घटना’ घोषित किया है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जांच को तेज करने का निर्देश दिया है।

विस्फोट ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ के भंडाफोड़ के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें जयश-ए-मोहम्मद से जुड़े संदिग्ध शामिल थे। गिरफ्तार लोगों में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टर—उमर उन नबी (जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से), मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद—शामिल हैं। DNA टेस्ट से पुष्टि हुई है कि उमर ही विस्फोट वाली कार चला रहा था।

CCTV फुटेज में उसे दिल्ली प्रवेश करते और बैदरपुर बॉर्डर पर टोल चुकाते देखा गया। फरीदाबाद पुलिस ने एक अन्य व्यक्ति को दूसरी कार (रेड फोर्ड इकोस्पोर्ट) से जुड़े मामले में हिरासत में लिया है। NIA जांच कर रही है, और अमोनियम नाइट्रेट जैसे रसायनों की खरीद पर नजर है।

यूनिवर्सिटी ने कहा कि आरोपी केवल आधिकारिक क्षमता में जुड़े थे, और परिसर में कोई संदिग्ध सामग्री नहीं है। UGC ने भी विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी है।

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