सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ‘मर्जी से मौत’ की इजाजत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई  वसीयत (लिविंग विल) को कानूनी मान्यता दे दी है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि कब वह आखिरी सांस ले. कोर्ट ने कहा कि लोगों को सम्मान से मरने का पूरा हक है. लिविंग विल’ एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। ‘पैसिव यूथेनेशिया’ (इच्छा मृत्यु) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट

मानवीय पहलू से जुड़े इस कानूनी पेंच वाले मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने टिप्पणी की थी कि ‘राइट टू लाइफ’ में गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमामय ढंग से मृत्यु का अधिकार भी शामिल है. इच्छा मृत्यु के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला आज आ गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने पिछले साल 11 अक्टूबर को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। पांच जजों की बेंच आज इस बात पर फैसला सुनाया। अब कोई मरणासन्न शख्स ‘लिविंग विल’ के जरिए अग्रिम रूप से बयान जारी कर यह निर्देश दे सकता है कि उसके जीवन को वेंटिलेटर या आर्टिफिशल सपॉर्ट सिस्टम पर लगाकर लम्बा नहीं किया जाए।

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि हम ये देखेंगे कि  इच्छा मृत्यु के लिए वसीयत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो. इस प्रक्रिया के दौरान दो स्वतंत्र गवाह भी मौजूद हों. कोर्ट इस मामले में पर्याप्त सेफगार्ड देगा ताकि इसका दुरुपयोग नहीं हो. वहीं, केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कहा था कि इच्छा मृत्यु पर अभी सरकार सारे पहलुओं पर गौर कर रही है और इस मामले में आम जनता और इस क्षेत्र में काम कर रहे सामाजिक संगठनों से सुझाव भी मांगे गए हैं.

केंद्र सरकार की ओर से अरूणा शॉनबाग ने कहा था कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आधार पर पैसिव युथेनेशिया (इच्छामृत्यु) को मंजूर करते हैं जो कि देश का कानून है. इसके तहत जिला और राज्य स्तर पर मेडिकल बोर्ड ऐसे मामलों में पैसिव यूथेनेशिया पर फैसला लेंगे लेकिन केंद्र ने कहा इच्छा मृत्यु जिसमें मरीज कहे कि वो अब मेडिकल स्पोर्ट नहीं चाहता ऐसी इच्छा को मंजूरी नहीं दी जा सकती है.

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में इच्छा मृत्यु यानी लिविंग विल का विरोध किया लेकिन पैसिव यूथेनेशिया को मंजूर करते हुए कहा कि इसके लिए कुछ सुरक्षा मानकों के साथ ड्राफ्ट बिल तैयार है. अब मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इस हाईवोल्टेज मुद्दे की कवायद पर विराम चिन्ह लग गया है.

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