बगावत ने बदला गेम, उपचुनावों में हार के बाद यहां फिर झटका खा गई भाजपा

नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को उनके ही एक विधायक ने जोरदार झटका देने का काम किया है। दरअसल भाजपा विधायक घनश्याम तिवारी काफी दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे। अब उन्होंने एक नया दल बनाकर अपने विरोध को और भी पुख्ता कर दिया है। फिलहाल अभी उन्होंने पार्टी से इस्तीफा न देते हुए अपने बेटे को नए दल का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा विधायक की ये नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ सकती है।

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बता दें इससे पहले उन्होंने कई मौकों पर प्रदेश संगठन और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर की है। इस मामले में तिवारी को पार्टी ने अनुशासनहीनता का नोटिस भी दिया है।

वहीं राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार पर भी घनश्याम तिवारी ने पार्टी के खिलाफ खुलकर बोला था। उस वक्त घनश्याम तिवारी ने कहा था कि लोगों ने राजे सरकार को हटाने के बजाए उसे और केंद्रीय नेतृत्व को दंडित किया है।

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खबरों के मुताबिक़ राजस्थान में इसी साल चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा के लिए पार्टी विधायक की यह नाराजगी भारी पड़ सकती है।

वरिष्ठ भाजपाई विधायक घनश्याम तिवारी ने ‘भारत वाहिनी पार्टी’ के नाम से अपनी नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया। घनश्याम तिवारी ने अपने बेटे अखिलेश तिवारी को अपनी इस नई पार्टी का अध्यक्ष बनाया है।

नई पार्टी के गठन के बाद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश तिवारी ने कहा कि चुनाव आय़ोग से निर्देश मिले हैं कि एक विज्ञापन जारी कर इस नाम पर आपत्ति मांगी जाए। यदि पार्टी के नाम (भारत वाहिनी पार्टी) पर किसी को आपत्ति होती है तो चुनाव आयोग पहले इसपर सुनवाई करेगा। लेकिन अगर इस नाम पर किसी तरह की आपत्ति नहीं आती है तो चुनाव आयोग इसे राजनीतिक दल की मान्यता दे देगा।

खबर है कि घनश्याम तिवारी सीधे तौर पर तो इस पार्टी से नहीं जुड़े होंगे लेकिन पार्टी को उनका सपोर्ट मिलता रहेगा।

दरअसल चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक किसी राजनीतिक दल का सदस्य जब तक उस पार्टी से इस्तीफा नहीं दे देता, तब तक वह दूसरी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं बन सकता है।

भाजपा से नाराज चल रहे तिवारी ने अभी अपना इस्तीफा नहीं दिया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से घनश्याम तिवारी ने ‘दीनदयाल वाहिनी’ बनाकर प्रदेश भर में कई कार्यक्रम किए।

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