एससी-एसटी एक्ट पर दलितों को हिंसा के लिए उकसाने वाले का पता चल गया है!

नई दिल्ली| एक तरफ हिंसा भड़क रही है। दंगे हो रहे हैं। गाड़ियों को फूंका जा रहा है। लोग मर रहे हैं। दूसरी तरफ नेता लोग नए-नए बयान दे रहे हैं। अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दलितों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में हिंसा के लिए मंगलवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया है।

दलितों के देशव्यापी विरोध

दलितों के देशव्यापी विरोध की असली वजह ये है

गहलोत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने विपक्षी पार्टियों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने दलितों व आदिवासियों को उकसा दिया..सात लोगों की मौत हो गई, संपत्ति का नुकसान हुआ और झड़पें हुईं। नकारात्मक भूमिका निभाने वाली विपक्षी पार्टियां ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।”

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के डीएनए को दलित विरोधी बताने पर उन्होंने कहा, “भाजपा अकेली पार्टी है जिसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भले के लिए काम किया है। हमें जब भी मौका मिला, हमने उनके फायदे के लिए ऐतिहासिक फैसले लिए हैं।”

सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को आदेश दिया था कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 के अंतर्गत आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होगी तथा प्राथमिक जांच और सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अगर प्रथमदृष्टया मामला नहीं बनता है तो अग्रिम जमानत ली जा सकती है।

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने तो संसद भवन के मुख्य कक्ष में डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर भी नहीं लगाई थी। उनकी तस्वीर भाजपा के प्रस्ताव पर तत्कालीन वी.पी. सिंह सरकार ने लगाई थी।

मंत्री ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस एससी-एसटी एक्ट को संशोधित कर और मजबूत किया है।

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