अंबानी से लेकर मुंजाल तक को बड़ा झटका, कंपनी से छीन ली जाएगी ‘मिलकियत’!

नई दिल्ली। शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी के फैसले ने देश के दिग्गज कारोबारियों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। ऐसे में रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी के साथ-साथ भारती एयरटेल के सुनील भारती मित्तल, विप्रो के अजीम प्रेमजी, यस बैंक के राणा कपूर और हीरो मोटोकॉर्प  के पवन मुंजाल को अपने दोनों पदों में एक पद से हाथ धोना पड़ेगा।

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शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी

दरअसल सेबी के फैसले के अनुसार अक्सर कंपनी पर इन्वेस्टमेंट करने वाले मालिकान चेयरमैन और एमडी की भूमिका में कार्यभार देखते हैं। ताकि कंपनी पर उनका प्रभुत्व और वर्चस्व कायम रहे। इसी प्रथा को तोड़ने के लिए सेबी ने यह कदम उठाया है, जिससे कंपनी बेहतर तरीके से कार्य को संचालित कर पाए।

बता दें एक ही व्यक्ति के दोनों पदों पर विराजमान रहने से कंपनी का कर्ताधर्ता वहीं इंसान बन जाता है। इसलिए बोर्ड के समक्ष उसकी कोई भी जवाबदेही तय नहीं होती।

खबरों के मुताबिक़ कोटक कमिटी ने ऐसी कंपनियों में एमडी या CEO और चेयरमैन के पद को अलग-अलग करने की सिफारिश की थी।

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वहीं सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर कोटक कमिटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है।

कोटक कमिटी की सिफारिशों में कहा गया है कि एक ही शख्स अगर चेयरमैन और एमडी दोनों की भूमिका निभा रहा है तो मैनेजमेंट से सवाल करने की बोर्ड की आजादी पर अंकुश लगता है। दोनों के अधिकारों में बंटवारा कंपनी को बेहतर तरीके से चलाने में मदद करेगा।

मतलब साफ है कि अब ऐसी कंपनियों में सीएमडी का कोई पद नहीं होगा। बल्कि यह दो अलग-अलग पद होंगे, जो एक व्यक्ति के पास नहीं रहेंगे।

सेबी के इस फैसले के अनुसार शेयर बाजार में लिस्ट कई कंपनियों के चेयरमैन को ऐसा ही करना पड़ेगा।

सेबी के अनुसार नए नियम के तहत अप्रैल 2020 से इन 10 कंपनियों के सीएमडी यानी चेयरमैन और एमडी अपने पास सिर्फ एक ही पद रख सकेंगे।

आसान भाषा में समझें तो ये लोग चेयरमैन और एमडी में से एक ही पद अपने पास रख सकेंगे। दूसरा पद इन्हें मजबूरन छोड़ना पड़ेगा।

कोटक कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चेयरमैन और एमडी की भूमिकाओं के बंटवारे से सारे अधिकार एक व्यक्ति के हाथ में नहीं रहेंगे। इससे कंपनी के परिचालन में बेहतरी आएगी और उसका प्रदर्शन सुधरेगा।

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बता दें भारतीय कंपनियों में प्रमोटर अक्सर चेयरमैन और एमडी दोनों होते हैं। उन्हें लगता है कि कंपनी उनकी है फिर चेयरमैन के तौर पर वह किसी बाहरी शख्स का निर्देश क्यों लें। कॉरपोरेट कंपनियों में चेयरमैन और सीएमडी की भूमिका अलग-अलग होती है।

कंपनी नियमावाली के मुताबिक, चेयरमैन कंपनी बोर्ड का नेतृत्व करता है। वहीं, एमडी प्रबंधन का प्रमुख होता है। एमडी रोजमर्रा के ऑपरेशन देखता है। चेयरमैन कंपनी के विजन लॉन्ग टॉर्म ग्रोथ की चिंता करता है।

बोर्ड की बैठक में चेयरमैन इसका नेतृत्व करता है। वह मैनेजमेंट से कंपनी के कामकाज से जुड़ा सवाल करता है। मैनेजमेंट के किसी प्रस्ताव का वे समर्थन या विरोध कर सकते हैं या रद्द भी कर सकते हैं।

इस वक्त एनएसई में लिस्टेड 640 कंपनियों में एक ही व्यक्ति चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। अगर कोटक कमेटी की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो इन कंपनियों को इनके रोल बांटने होंगे।

भारतीय उद्योगपतियों को लगता है कि अगर उन्होंने अपना कोई पद छोड़ा तो कंपनी से उनका नियंत्रण खत्म हो जाएगा। अगर उन्होंने चेयरमैन का पद छोड़ दिया तो बोर्ड को प्रभावित नहीं कर सकेंगे।

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