ट्रिपल तलाक पर तीन साल की सजा, जानें बिल के सभी प्रावधान

ट्रिपल तलाकनई दिल्ली। तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए एक सख्त कानून बिल पास किया है। लेकिन इस बिल के पास होने पर विरोध भी शुरू हो गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लखनऊ ने इसका विरोध किया है। वैसे तो तीन तलाक के मुद्दे ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दौरान जोर पकड़ा था। तब भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार देने की बात कहते हुए तीन तलाक को गलत बताया था। चुनाव के दौरान यह मुद्दा बहुत गरमाया और भाजपा ने प्रदेश में अप्रत्याशित जीत दर्ज की थी।

दरअसल, तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट से बैन किए जाने के बाद मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून वाले बिल को शुक्रवार कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। इस बिल के तहत अगर कोई शख्स एक समय में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह गैरजमानती अपराध माना जाएगा। इस अपराध के कारण उसे तीन साल की सजा भी हो सकती है।

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मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे बिल के प्रारुप को सभी राज्य सरकारों भेजा गया था और राज्यों की राय मांगी गई थी। इसमें बीजेपी शासित ज्यादातर राज्यों ने इस पर मंजूरी दे दी है। इनमें झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी हैं।

तीन तलाक के खिलाफ बिल में प्रावधान

1- एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी होगा। साथ ही ऐसा करने वाले पति को तीन साल की सजा हो सकती है। यह गैर-जमानती अपराध माना जाएगा।

2- बिल के प्रारुप के अनुसार, एक वक्त में तीन तलाक (एसएमएस और व्हाट्सएप, बोलकर, लिखकर या ईमेल जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी होगा।

3- ड्रॉफ्ट बिल के मुताबिक एक बार में तीन तलाक या ‘तलाक ए बिद्दत’ पर लागू होगा और यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने का अधिकार होगा। साथ ही पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे।

4- प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।

सरकार ने बिल को लाने पर दिया यह तर्क

मोदी सरकार ने इस बिल को लाने का तर्क दिया है कि सर्वोच्च न्यायलय के बैन किए जाने के बाद भी लगातार तीन तलाक के मामले हो रहे हैं। कानून में तीन तलाक को लेकर सजा का कोई प्रावधान नहीं था। इसी कारण केंद्र सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है।

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