
नई दिल्ली। 1984 सिख नरसंहार प्रकरण के दोषी सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरेंडर की तारीख बढ़ाए जाने की अपील खारिज होने के बाद आत्म समर्पण कर दिया है। वह सोमवार को सरेंडर करने कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे थे।
यहां से उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया जाना था। लेकिन आखिरी क्षण में जेल बदल दिया गया। अब उन्हें मंडोली जेल ले जाया गया है। बता दें कि सिख दंगों मामले में 34 साल बाद दोषी करार सज्जन कुमार को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।
इसलिए लिया मंडोली जेल का हुआ चुनाव
पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को तिहाड़ जेल की बजाय मंडोली सेंट्रल जेल भेजा गया है। प्रशासन ने जेल परिवर्तन का यह फैसला सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है। दरअसल, तिहाड़ जेल में देश के कई कुख्यात अपराधी बंद हैं।
इसके अतिरिक्त वहां क्षमता से अधिक कैदी हैं। इस लिहाज से सज्जन कुमार को वहां खतरा हो सकता था। दूसरी तरफ मंडोली सेंट्रल जेल आधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस है। सुरक्षा के लिहाज से यह देश की सबसे अच्छी जेलों में शुमार है।
सज्जन कुमार पर क्या हैं आरोप?
आपको बता दें कि सज्जन कुमार पर आरोप है कि उन्होंने 1 नवंबर 1984 को राजनगर में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी थी। साथ ही एक गुरुद्वारे को आग लगा दिया था। 17 दिसंबर को कोर्ट द्वारा फैसला आने के बाद सज्जन कुमार ने कहा था कि उनके तीन बच्चे और 8 पोते-पोतियां हैं।
ऐसे में उन्हें प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए कुछ वक्त चाहिए। बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद अगले चार दिनों तक कत्लेआम मचा रहा। इन चार दिनों में कम से कम 3000 सिखों की हत्या हूई थी।
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सज्जन कुमार को शेष बची पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी
सज्जन कुमार अभी 73 साल के हैं। ऐसे में उम्रकैद की सजा मिलने का सीधा मतलब है कि सज्जन कुमार की बाकी जिंदगी जेल में कटेगी। लिहाजा सज्जन कुमार चाहते थे कि उन्हें एक महीने का और वक्त दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी।