लोकसभा चुनाव से पहले गिरता NDA का ग्राफ,प्रियंका के आने से UPA ने पकड़ी रेल

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. वहीं, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए गठबंधन एक बार फिर अपना सरकार बनाने का दावा कर रहा है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व में दूसरा बड़ा धड़ा यूपीए भी पूरे दम-खम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में है. दोनों बड़े धड़ों के अलावा अन्य दल भी हैं इस गठबंधन से अलग राह पर चल रहे हैं.

लोकसभा चुनाव

पिछले 5 साल के दौरान इंडिया टुडे की तरफ से हर 6 महीने Mood Of The Nation (MOTN) यानी देश का मिजाज जानने की कोशिश की गई. इन 5 सालों के वोट शेयर ट्रैकर पर नजर डाले तो पता चलता है कि पिछले डेढ़ साल में केंद्र में सत्ताधारी एनडीए का ग्राफ लगातार गिरा है, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने रफ्तार पकड़ी है. ऐसे में जब देश आम चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तो जनवरी 2019 का अनुमानित वोट शेयर ट्रैकर खंडित जनादेश की तरफ इशारा कर रहा है.

5 साल बाद कहां खड़ा है एनडीए?

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले एनडीए का वोट शेयर 38 फीसदी था, जबकि इसकी तुलना में यूपीए को 23 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, अन्य को 39 फीसदी वोट मिले थे. चूंकि इन चुनावों में तीसरे मोर्चे पर कोई गठबंधन नहीं था लिहाजा एनडीए के विपक्ष में पड़ने वाले अन्य वोटों का बिखराव हुआ.

मई 2014 से जनवरी 2019 के बीच किए गए 7 MOTN सर्वे में केंद्र में सत्ताधारी गठबंधन एनडीए का ग्राफ मोदी सरकार की लोकप्रियता के लिहाज से बढ़ता-घटता रहा. जहां फरवरी 2016 में एनडीए का अनुमानित वोट शेयर पहले की तुलना में 1 फीसदी कम यानी 37 फीसदी था तो वहीं इसके ठीक 6 महीने बाद यानी अगस्त 2016 में यह 40 फीसदी तक पहुंच गया.

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जनवरी 2017 में किए गए सर्वे के मुताबिक एनडीए के अनुमानित वोट शेयर का आंकड़ा 42 फीसदी के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. यहां बताना जरूरी है कि इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार द्वारा उठाए गए बड़े कदम नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक से सत्ताधारी एनडीए गठबंधन की लोकप्रियता अपने चरम पर थी.

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टैक्स सुधार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए जून के महीने में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू किया. लिहाजा इसके ठीक बाद अगस्त 2017 में किए गए सर्वे में एनडीए के अनुमानित वोट शेयर में कोई गिरावट नहीं आई.

हालांकि साल 2017 में मिली बढ़त जनवरी 2018 में कुछ कम जरूर हुई. इस दौरान एनडीए का वोट शेयर 40 फीसदी आंका गया. जबकि अगस्त 2018 एनडीए के वोट शेयर का आंकड़ा 36 फीसदी पर पहुंच गया. बता दें कि इस दौरान केंद्र में एनडीए की एक अहम सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) एनडीए छोड़ चुकी थी और देश में कृषि संकट, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को विपक्ष ने हवा देनी शुरू कर दी.

इसके बाद साल दिसंबर 2018 में 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा जिसका प्रभाव उसके अनुमानित वोट शेयर पर भी पड़ा. चुनावी साल यानी जनवरी 2019 में किए गए सर्वे के मुताबिक एनडीए को 35 फीसदी वोट मिलने के अनुमान हैं.

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