मालेगांव ब्लास्ट केस: रिटायर्ड ATS अधिकारी का सनसनीखेज खुलासा, RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के थे आदेश

महाराष्ट्र के पूर्व ATS अधिकारी मेहबूब मुजावर ने दावा किया है कि 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था ताकि ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव बनाया जा सके।

मुजावर ने खुलासा किया कि तत्कालीन जांच अधिकारी परमवीर सिंह ने उन्हें राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा, “मोहन भागवत जैसे प्रभावशाली व्यक्ति को गिरफ्तार करना मेरी क्षमता से बाहर था।”

यह बयान गुरुवार को विशेष NIA कोर्ट के फैसले के बाद आया, जिसमें पूर्व BJP सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने विश्वसनीय साक्ष्य, प्रक्रियागत खामियों और गवाहों की अविश्वसनीय गवाही की कमी का हवाला दिया।

मुजावर ने आरोप लगाया कि जांच “फर्जी” थी और परमवीर सिंह ने उनके इनकार करने पर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया। उन्होंने कहा, “मुझे मृत लोगों को जिंदा दिखाकर चार्जशीट दाखिल करने को कहा गया। मैंने मना किया तो मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए, जिनमें मैं बरी हो चुका हूं।”

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल हुए थे। ATS ने शुरूआती जांच में दावा किया था कि ब्लास्ट ‘अभिनव भारत’ नामक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े लोगों ने किया, और मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर की थी। हालांकि, 2011 में NIA ने जांच अपने हाथ में ली और ATS की जांच में खामियां पाईं, जिसके बाद MCOCA के तहत आरोप हटा दिए गए।

NIA कोर्ट ने कहा कि न तो मोटरसाइकिल पर बम होने, न ही ठाकुर की मालिकाना, और न ही पुरोहित द्वारा विस्फोटक जमा करने के सबूत मिले। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता” और “सिर्फ संदेह” या “नैतिक धारणा” पर सजा नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने ATS अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोपों और कथित फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच के आदेश भी दिए।

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