दुल्हन करती रही इंतजार, लेकिन मंडप में नहीं आए लालची दरोगा जी

रिपोर्ट- जावेद चौधरी

गाजियाबाद। हमारे देश भारत में शादी को सात जन्मों का बंधन कहा जाता है। शादी की तैयारी वर व वधु पक्ष के लोग धूमधाम के साथ करते हैं। लेकिन अगर दुल्हन की बारात ही शादी वाले दिन न पहुंचे तो उस पर क्या बीतेगी यह बात भी किसी से छिपी हुई नहीं है।

ताजा मामला मथुरा का प्रकाश में आया है। नैनापुरम कॉलोनी औरंगाबाद टाउनशिप मथुरा निवासी दलबीर सिंह की पुत्री श्वेता उर्फ दिव्यानी की शादी एसआई मानवेन्द्र सिंह पुत्र स्व. भगवान सिंह निवासी अलीगढ़ के साथ २२ जनवरी को तय हुई थी।

मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में गाजियाबाद के थाना साहिबाबाद में तैनात है। शादी को लेकर वधु पक्ष के लोगों में काफी उत्साह था, उन्होंने दहेज में एक कार भी दारोगा को दी थी। शादी के कार्ड भी सभी परिचितों तक पहुंच चुके थे। 22 जनवरी मंगलवार को श्वेता की बारात आनी थी, श्वेता सजधज कर तैयार थी।

लेकिन दुल्हे दरोगा जी बारात लेकर वधु पक्ष के घर नहीं पहुंचे। काफी इंतजार के बाद वधु पक्ष के लोगों का धैर्य टूट गया और उन्हें अनहोनी की अशंका होने लगी। जांच पड़ताल के बाद उन्हें पता लगा कि दुल्हे साहब दरोगा जी तो मौके से गायब है। जिसे सुनकर श्वेता के पिता दलबीर सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई।

दलबीर सिंह मौके पर ही यह बात सुनने के बाद जमीन पर गिर पड़े। परिजनों ने किसी प्रकार उन्हें संभाला। बुधवार को दलबीर सिंह ने मथुरा के थाने में दारोगा मानवेन्द्र के खिलाफ तहरीर दी। फोन पर दलबीर सिंह ने बताया कि हमने अपनी हैसियत के अनुसार काफी दान दहेज वर पक्ष को दिया। 22 जनवरी को बारात आनी थी।

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उन्होंने बताया कि हमें पता लगा है कि दारोगा का किसी लड़की से प्रेमप्रसंग का मामला चल रहा था। दलबीर सिंह ने बताया कि इस पूरे प्रकरण से वह खुद और उनकी बेटी सदमे में है। उन्होंने बताया कि अगर मानवेन्द्र को शादी नहीं करनी थी तो हम लोगों को गुमराह क्यों किया। इस मामले में उच्च अधिकारियों से कार्रवाई करने की गुहार लगाई।

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