ये डॉक्टर मरे हुए लोगों का कर रहा हैं इलाज , जांच में हुआ खुलासा…

रिपोर्ट – ऋतिक द्विवेदी

पीलीभीत में शव का इलाज करने वाले डॉक्टर पर कार्यवाही होना तय है पीड़ित द्वारा पुलिस अधीक्षक से वीते दिनों शिकायत करने के बाद जांच में की गई शिकायत सही पाई गई पीड़ित का आरोप था प्रतिष्ठित अस्पताल युवक के मृत होने के बाबजूद भी वेंटिलेटर पर रखकर इलाज करता रहा ये बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सावित हो चुकी है।

 

वही मल्टी सुपर स्पेशलिस्ट पंडित मैकूलाल वीरेंद्रनाथ हॉस्पिटल है  यहां पैसों की खातिर मरे हुए लोगों का इलाज किया जाता है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर मानवता को ताख पर रखकर चंद रुपयों की खातिर इतना नीचे गिर गए कि ये सोचकर ही किसी की भी रूह कांपने लगेगी।

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बतादें की इस पूरे मामले में आरोपी डॉक्टर योगेन्द्र नाथ मिश्रा पेशे से डॉक्टर होने के साथ-साथ शराब के कारोबारी और आर एस एस के संघ प्रचारक भी है जिस कारण इनकी ऊपर तक पैठ है जिसके चलते ये नियम और कानून को अपने ठेंगे पर रखते हैं।

दरअसल थाना पूरनपुर क्षेत्र के गांव शिकराहना की रहने बाली है शारदा देवी की माने तो 6 जून को उसके पति राजू का  एक्सीडेंट हो गया था गंभीर हालत में वो उन्हें सबसे पहले अवध नरसिंग होंम डॉक्टर जे एन मिश्रा के अस्पताल ले गए जहाँ डॉक्टर ने उन्हें देखने के बाद इलाज करने से मनाकर दिया इसके बाद वो पास के ही एस एस हॉस्पिटल डॉ एस के अग्रवाल के यहां ले गए ।

वहां डॉक्टर ने उसके पति के शरीर में कोई भी हरकत न होने से घर वापस ले जाने को कहा ,घर वापस लाते समय तसल्ली के लिए  एम्बूलेंस   चालक के कहने पर  उन्हें शहर के नामचीम अस्पताल डॉ मैकूलल वीरेंद्र नाथ हॉस्पिटल डॉ योगेन्द्र नाथ के यहां लेगये जहां डॉक्टर ने देखने के बाद भर्ती कर लिया  और एक एग्रीमेंट पर साइन करालिये और बाद में  वेंटिलेटर पर रखने के नाम पर 40 हजार रुपए जमा करा लिए इलाज शुरू करने की बात कही, सुभह होते ही आगे के ट्रीटमेंट के लिए 60 हजार रुपए और जमा कर लिए ।

अगले दिन  सुभह को जब  शारदा देवी और उसके परिजन  राजू को देखने गए तो उनकी आंखों पर पट्टी बंधी थी और आंखों  के ऊपर टेप चिपका हुआ था ।शक होने पर परिजनों ने कारण पूछा तो हालात गंभीर होने का हवाला देते हुए 72 घंटे बाद कुछ बताने की बात कही। और फिर 8जून को अचानक समय करीब 11 बजे  हायर ट्रीटमेंट सेंटर लेजाने की सलाह देकर जबरन रेफर लेटर बना दिया ।

जबकि उनकी मौत हो चुकी थी ।मामला एक्सीडेंट का होने के कारण दोपहर  बाद राजू का पोस्मार्टम कराया गया और पोस्टमार्टम रिपोर्ट  रिपोर्ट में राजू की 12 से 24 घंटे मौत होने बताई गई है। इससे ये सिद्ध हो गया कि राजू की मौत पहले ही हो चुकी थी इसीलिए पहले से दिखाए गए डॉक्टरों ने लेने से मना कर दिया था।

घटना के बाद से एक माह बीत जाने के चलते मृतक के परिजन पुलिस  और स्वास्थ्य महकमे के चक्कर काटकर थक  चुके थे ।लेकिन भारी भरकम और रसूखदार डॉक्टर के आगे प्रशाशन भी लाहचार होता दिखाई दिया ।

अंत मे जाकर मृतक के परिजनों को राजनैतिक लोगो की शरण मे जाना पड़ा और भीम आर्मी पार्टी के पदाधिकारियों से मदद की  गुहार लगाई और उन्हें साथ लेकर पुलीस अधीक्षक से मिले पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले की जांच के लिए सी एम ओ डॉक्टर सीमा अग्रवाल को फ़ाइल भेज दी। मामला तूल पकड़ता देख तत्काल प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया ।जांच में डॉक्टर दोषी पाया गया है।इस पूरे मामले में दोषी पाए गए डॉक्टर से जब हमने उनका पक्ष जानना चाह तो उन्होंन कैमरे के सामने आने से साफ मन कर दिया।

 

 

 

 

 

 

 

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