ममता का साथ छोड़ 6 सांसद हुए भाजपाई, अब कैसे मिलेगी जीत…

लोकसभा चुनाव होने में अब कम ही समय बचा है। ऐसे में राजनीतिक दल खुद को मजबूत करने के साथ ही चुनावी रणनीति बना रहे हैं। मगर भाजपा के खिलाफ विरोध का झंडा उठाने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी को झटका लगा है।

उन्हें पहला झटका बुधवार को बिष्णुपुर के सांसद सौमित्र खान के तौर पर लगा, जिन्होंने पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है।

ममता का साथ छोड़ 6 सांसद हुए

माना जा रहा है कि बोलपुर से सांसद अनुपम हजारे भी उनके पदचिह्नों पर चलेंगे। भाजपा के एक नेता ने कहा कि खान के अलावा टीएमसी के लगभग 6 सांसद हमारे संपर्क में हैं।

भाजपा की बंगाल इकाई ने बेशक उन सांसदों के नाम उजागर करने से मना कर दिया है जो उसके संपर्क में हैं लेकिन चर्चा है कि अर्पिता घोष और सताब्दी रॉय भी टीएमसी छोड़ सकते हैं।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी में पूर्व में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुकुल रॉय के करीबी और पार्टी से असंतुष्ट दो सांसद भाजपा में शामिल हो सकते हैं। टीएमसी के अंदर राजनीतिक हलचल 10 दिन पहले शुरू हो गई है जबकि मुख्यमंत्री 19 जनवरी को कोलकाता में भाजपा विरोधी एक रैली करने वाली हैं।

टीएमसी ने खान और हजरा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।

दोनों सांसदों द्वारा भाजपा में शामिल होने की बात पिछले साल मानसून सत्र से ही जारी थी क्योंकि यह साफ हो गया था कि पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में दोबारा नामांकित नहीं करेगी।

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बनर्जी पर निशाना साधते हुए खान ने कहा, ‘टीएमसी अब एक पार्टी नहीं रही बल्कि वह ममता और उसके भतीजे अभिषेक की निजी कंपनी बन गई है। बंगाल में सिंडिकेट और पुलिस राज साथ-साथ चल रहा है।’

बांकुरा के पर्यवेक्षक अभिषेक ने कहा, ‘सौमित्र 2011 में कांग्रेस और तृणमूल के उम्मीदवार थे। वह तृणमूल में शामिल हो गए और 2014 में सांसद बन गए। उन्हें अपने सांसद निधि कोष के खर्चों के खाते प्रदान करने चाहिए। वह लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।’

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