पाकिस्तान के खिलाफ कनाडा में जमकर प्रदर्शन, हिंदू लड़कियों का किया जा रहा हैं धर्म परिवर्तन…

कनाडा के सिसौगा सेलिब्रेशन स्कवायर पर शनिवार को सिंध के रहने वाले हिंदुओं ने प्रदर्शन किया। इन सभी ने पाकिस्तान से नाबालिग हिंदू लड़कियों के होने वाले जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने और उन लड़कियों के लिए न्याय मांगा जिनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है।

 

 

बतादें की आयोजकों के अनुसार, इस विरोध प्रदर्शन का मकसद पाकिस्तान सरकार पर उन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाना था जो धर्म को हथियार बनाकर मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करते हैं।
वहीं प्रदर्शनकारियों ने आधिकारिक बयान जारी करके कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं सिंधी हिंदू बहुत पीड़ा में हैं क्योंकि आजकल पाकिस्तान में लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।’

प्रदर्शनकारियों के हाथ में मौजूद पोस्टर में लिखा था, ‘पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण बंद हो’, ‘पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक उत्पीड़न बंद करो’, ‘पाकिस्तान हिंदू लड़कियों को अगवा करना बंद करो’, ‘हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण कराना बंद करो’। उन्होंने प्रदर्शन के दौरान हमें न्याय चाहिए के नारे भी लगाए।

बता दें कि पाकिस्तान के अकेले सिंध प्रांत में हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और शादियों के करीब 1000 मामले उजागर होने पर देश का स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन चिंता जाहिर कर चुका है। 16 अप्रैल को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ‘पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग’ (एचआरसीपी) ने कहा था कि सरकार ने ऐसी जबरन शादियों को रोकने के लिए अतीत में बहुत अच्छी कोशिशें नहीं कीं। ये प्रयास बहुत मामूली ही रहे।

एचआरसीपी ने पाक सांसदों से हिंदू-ईसाई लड़कियों के धर्मांतरण और जबरन निकाह के चलन को खत्म करने के लिए प्रभावी कानून बनाने के लिए भी कहा। आयोग ने 335 पन्नों की रिपोर्ट ‘2018 में मानवाधिकार की स्थिति’ में कहा है कि 2018 में सिर्फ सिंध प्रांत में ही हिन्दू और ईसाई लड़कियों से संबंधित अनुमानित एक हजार मामले सामने आए।

दरअसल जिन शहरों में बार-बार ऐसे मामले हुए हैं उनमें उमरकोट, थरपारकर, कराची, मीरपुरखास, बदीन, कराची, टंडो अल्लाहयार, कश्मोर और घोटकी शामिल हैं। लेकिन पाक में जबरन धर्मांतरण और जबरन शादी का कोई प्रमाणिक आंकड़ा तक मौजूद नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘सिंध बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2013’ को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया और जबरन शादियों पर सरकार की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही।

 

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