ईरान ने अमेरिकी हमलों को ‘आपराधिक’ करार दिया, ट्रंप को दी गंभीर परिणामों की चेतावनी

22 जून 2025 को अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज, और इस्फहान—पर हवाई हमले किए, जिसे ईरान ने ‘आपराधिक व्यवहार’ करार देते हुए कड़ी निंदा की। ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने इन हमलों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून, और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन बताया।

ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘गंभीर और अनंत परिणामों’ की चेतावनी दी, साथ ही आत्मरक्षा के लिए सभी विकल्प खुले रखने की बात कही।

ईरान की प्रतिक्रिया

  • अराघची का बयान: X पर एक पोस्ट में अराघची ने कहा, “आज सुबह की घटनाएं अपमानजनक हैं और इसके अनंत परिणाम होंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को इस खतरनाक, कानूनविरोधी, और आपराधिक व्यवहार से चिंतित होना चाहिए।” उन्होंने अमेरिका पर शांतिपूर्ण परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
  • आत्मरक्षा का अधिकार: अराघची ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 का हवाला देते हुए कहा कि ईरान अपनी संप्रभुता, हितों, और नागरिकों की रक्षा के लिए सभी विकल्पों का उपयोग कर सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र से अपील: ईरान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत आमिर सईद इरावानी ने सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने अमेरिका और इजरायल के हमलों को ‘बेवजह और पूर्वनियोजित’ करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेही की मांग की।

अमेरिकी हमलों का विवरण

  • हमले का दायरा: अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर और नौसेना के पनडुब्बियों ने फोर्डो पर छह 30,000 पाउंड की ‘बंकर बस्टर’ बम (GBU-57 MOP) और नतांज व इस्फहान पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं। ट्रंप ने दावा किया कि ईरान की परमाणु संवर्धन सुविधाएं “पूरी तरह नष्ट” हो गईं।
  • फोर्डो पर फोकस: फोर्डो, जो तेहरान से 100 मील दूर एक पहाड़ के नीचे 80-90 मीटर गहराई में बना है, ईरान की सबसे सुरक्षित परमाणु साइट है। केवल अमेरिकी बंकर बस्टर बम ही इसे नष्ट कर सकते हैं।
  • नुकसान का आकलन: ईरान की परमाणु ऊर्जा संगठन ने हमलों की पुष्टि की, लेकिन दावा किया कि कोई रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ और परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा। IAEA ने भी कहा कि साइटों के बाहर रेडिएशन स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई।

इजरायल की भूमिका

  • इजरायल का समर्थन: इजरायल ने 13 जून से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू किए थे, जिसका मकसद ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को खत्म करना था। अमेरिकी हमले इजरायल के साथ “पूर्ण समन्वय” में किए गए।
  • नेतन्याहू की प्रतिक्रिया: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के फैसले की सराहना की और कहा, “आपका साहसिक निर्णय इतिहास बदल देगा।”
  • इजरायल पर जवाबी हमले: हमलों के बाद ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिसमें 14 लोग घायल हुए और तेल अवीव में कुछ इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

  • संयुक्त राष्ट्र: महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने हमलों को “खतरनाक” बताया और क्षेत्रीय युद्ध का जोखिम जताया।
  • अमेरिकी आंतरिक विरोध: कुछ अमेरिकी सांसदों, जैसे मार्जोरी टेलर ग्रीन और हकीम जेफ्रीज, ने ट्रंप के बिना संसदीय अनुमति के हमलों की आलोचना की।
  • क्षेत्रीय तनाव: यमन के हूथियों ने हमलों की निंदा की और अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाने की धमकी दी। ईरान समर्थित ‘एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस’ कमजोर होने के बावजूद जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है।

ईरान की रणनीतिक स्थिति

  • सैन्य क्षमता: इजरायल और अमेरिका के नौ दिनों के हमलों ने ईरान की हवाई रक्षा और मिसाइल क्षमता को कमजोर किया है।
  • संभावित जवाबी कार्रवाई: ईरान अमेरिकी ठिकानों, जैसे बहरीन में 5वीं फ्लीट मुख्यालय, या स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में समुद्री यातायात को निशाना बना सकता है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
  • परमाणु कार्यक्रम: ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, लेकिन IAEA के अनुसार, 60% संवर्धित यूरेनियम का भंडार नौ परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त है।
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