जानिए CBSE की टॉपर्स लड़कियों के बीच और एक चीज़ क्या कॉमन है जिसपर हम सबका जाना चाहिए था ध्यान…

नई दिल्ली: बोर्ड एग्ज़ाम्स से स्टूडेंट्स की नई फ़्यूचर प्लानिंग शुरू होती है। लेकिन ज़्यादातार ये प्लानिंग बच्चे ख़ुद नहीं डिसाइड करते हैं। तो कौन करता है? सबसे पहले तो घर में पेरेंट्स हैं।

 

सीबीएसई

 

फ़िर आस पड़ोस के लोगों की आपके बारे में राय वग़ैरह, फ़िर सबसे लास्ट में स्कूल टीचर का सजेशन. और  वहीं ये तय कैसे होता है। जहां दो चीज़ें होती हैं। वहीं पहली तो ये कि बच्चे का दिमाग़ थोड़ा तेज़ है और बच्चा पिछले बरसों में अच्छा क्लास परफॉर्मेंस देता आया है।

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बता दें की तो उसे बिना ज़्यादा सोचे समझे मैथ्स और साइंस की तरफ़ बढ़ा दिया जाता है. बाक़ी बचे हुए बच्चे चुप मार के आर्ट्स ले लेते हैं. और पेरेंट्स उन्हें भगवान भरोसे छोड़ के शांत बैठ जाते हैं।

 

लेकिन वह एक रास्ता और है जो ना मैथ्स साइंस के भोग की तरफ़ जाता है और ना ही आर्ट्स के मोक्ष की तरफ़ वो है कॉमर्स का रास्ता हैं। जहां मैंने यही लिया था। इसलिए  देखा जाये तो आज तक कहीं नहीं पहुंचा हैं।

 

लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) के इस साल के बारहवीं के रिज़ल्ट्स आ चुके हैं। जहां टॉप किया है दो लड़कियों ने. हंसिका शुक्ला और करिश्मा अरोड़ा 500 में से 499 नंबर लाकर जॉइंट टॉपर (मतलब एक साथ) रही हैं।

दरअसल आप इन दोनों के मार्क्स वग़ैरह अब तक जान चुके होंगे. ज़माना ‘संचार क्रांति’  का है। जो हुआ उसकी ख़बर तो चटपट पहुंचती ही है। कभी-कभी जो नहीं हुआ उसकी भी ख़बर पहुंच जाती है।

लेकिन आपने शायद ही ध्यान दिया हो कि इन दोनों टॉपर्स में एक बात कॉमन है। और वो वहीं है इन दोनों का आर्ट्स साइड का होना। जहां दोनों ही टॉपर्स आर्ट्स साइड की हैं।

दरअसल अगर पिछले पांच साल की बात करें तो ज़्यादातर टॉपर आर्ट्स साइड के नहीं हैं. 2017 में एमिटी इंटरनैशनल स्कूल नोएडा की  ने आर्ट्स से टॉप किया था। जहां रक्षा को टोटल 99.6 % मार्क्स मिले थे। लेकिन उन्हें इतिहास में 99, साइकॉलजी में 99, अंग्रेज़ी, पॉलिटिकल साइंस, और साइकॉलजी में 100 मिले हैं. मतलब 500 में से 498.यानि की आर्ट्स से टॉप करना मुश्किल है। और कम से कम लोग तो अब भी यही मानते हैं।

लोग मानते हैं कि अगर ज़्यादा मार्क्स लाने हैं तो मैथ्स साइंस ही लेने चाहिए. क्यों? क्योंकि मान लीजिए आपके पेपर में मैथ का एक सवाल आता है।  तो CBSE आपको सवाल का ग़लत जवाब देने पर भी ‘स्टेप्स’ के मार्क्स देती है। जहां अगर जवाब पूरा ही सही है तो मार्क्स कहीं कटने वाले नहीं हैं।

 

लेकिन अगर इतिहास के पेपर में रूस की क्रान्ति के बारे में लिखना हो, तो कॉपी चेक करने वाले के ऊपर है कि आपको कितने मार्क्स देता है। इसलिए आमतौर पर आर्ट्स में मैथ्स साइंस के मुकाबले कम मार्क्स आते हैं।  ऐसा लोग मानते हैं।

देखा जाये तो तो कुल मिलाकर इस बार के CBSE नतीजे साफ़ करते हैं कि स्ट्रीम चाहे जो हो । लेकिन अगर बच्चे के भीतर कुछ बेहतरीन करने की ख़्वाहिश है तो रास्ते सब तरफ़ खुले होते हैं।

 

 

 

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