जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले 35ए, 370 पर कोई बात नहीं करेगा केंद्र

नई-दिल्ली।  इस साल के अंत में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले 35ए और अनुच्छेद 370 के मामले पर किसी भी तरह की कोई बात नहीं करेगी। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वहां पर 100 कंपनियों की सैनिकों की तैनाती सुरक्षा कारणों की वजह से की गई है। राज्य की पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) भी घाटी में इस तरह की अफवाह को आग देने का काम कर रहीं हैं।

जम्मू-कश्मीर
पीडीपी और एनसी को आशंका है कि इस विधानसभा चुनाव में जनता उनका साथ नहीं देगी। यही वजह है कि वह 35ए और 370 को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार यह भी मान रहे हैं कि घाटी में उन्हें भी वोटरों का समर्थन नहीं मिलने जा रहा है।

फिलहाल उनका सारा गणित जम्मू और लद्दाख क्षेत्र पर निर्भर है। सरकार का मानना है कि पंचायत चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों के सफल होने के आसार हैं। सूत्रों के मुताबिक 35ए और 370 पर कोई भी फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा।

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सूत्रों ने बताया कि पंचायत तक केंद्र का पैसा सीधा पहुंच रहा है जिससे गांवों-कस्बों में खासा उत्साह और विश्वास है। लोगों केबीच एक ठोस संदेश है कि अगर वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शमिल होते हैं तो उसका फायदा होगा। इस स्थिति में केंद्र चुनाव से पहले संवेदनशील 35ए जैसे मुद्दे को उठाकर चुनाव प्रक्रिया को जोखिम में डालने के पक्ष में नहीं है।

चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि पंचायत चुनाव में कश्मीर घाटी में 75 फीसदी के करीब मत पड़े। जबकि लोकसभा चुनाव में कश्मीर में सिर्फ 15 फीसदी वोटिंग हुई। केंद्र के मुताबिक इसकी वजह पीडीपी और एनसी- कांग्रेस गठबंधन में लोगों के यकीन की कमी है। घाटी में भाजपा तो वैसे भी रेस में नहीं थी।

सूत्रों ने बताया कि सरकार और चुनाव आयोग अब राज्य में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड से साथ ही जल्द से जल्द चुनाव कराने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर तक ठंड शुरू होने से पहले खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो जाएंगे।

 

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