
नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा की निर्मलता उसके जीव-जंतुओं से प्रमाणित होगी।
लोकसभा में एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा- “गंगा निर्मल हो गई है, यह हम किसी लैब से प्रमाणित नहीं करेंगे, बल्कि जो जल जंतु जहां होना चाहिए, यदि वह वहां होगा तो वही गंगा की जीवन शक्ति का प्रमाण होगा।”
भारती ने कहा कि हमने नदी के जीव-जंतुओं के बारे में केंद्रीय अंतदेर्शीय मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान (सिफरी) के साथ करार करके एक परियोजना शुरू की जिससे एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का पता चला है। गंगा में स्नोट्राउट, गोल्डन फिश और हिल्सा जैसी मछलियां धीरे-धीरे खत्म हो गई हैं।
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मंत्री ने कहा कि फरक्का बैराज जहां से हिल्सा मछली चंबल तक आती थी, अब उसका आवागमन रुक गया है। यह मछली लाखों मछुआरों के रोजगार का साधन थी। वह प्रजनन के लिए मीठे पानी की ओर बढ़ती थी। जल संसाधन मंत्री ने सदन को बताया कि कल ही उन्होंने यह फैसला किया है कि हम फरक्का बैराज में फिश लैडर का निर्माण करेंगे, ताकि हिल्सा मछली बैराज में चंबल तक वापस आ सके और मछुआरों को रोजगार मिल सके।
जल संसाधन मंत्री ने कहा, “अब हमने पर्यावरण मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के साथ मिलकर यह तय किया है कि गंगा पर किसी भी नई परियोजना के मामले में मानवीय करार का पालन करेंगे ताकि गंगा के जीव-जंतु सुरक्षित रह सकें।” उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता का मुद्दा भी उसकी अविरलता से ही जुड़ा है।
भारती ने कहा कि गंगा में डॉल्फिन की प्रजाति भी प्रदूषण के कारण अंधी हो गई हैं। उन्होंने बताया कि यह तय किया है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के बाद एक बार फिर आंखों वाली डॉल्फिन की प्रजाति को गंगा में छोड़ा जाएगा। यदि वह फिर अंधी नहीं हुई तो हम यह मान लेंगे कि अब गंगा की जीवंतता यथावत हो गई है। नमामि गंगे कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए भारती ने कहा कि हमने सौ जगहों पर गंगा के कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें एक्वालाइफ की भी तीन परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें हम इन सभी प्रजातियों की मछलियों का ध्यान रखेंगे।
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मंत्री ने कहा कि गंगा में कई तरह की मछलियों की प्रजातियां इसलिए खत्म हो गईं क्योंकि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के साथ जो करार किया था उसमें यह तय हुआ था कि गंगा की अविरलता बनी रहनी चाहिए लेकिन यह अविरलता टूटने से ही ये सारी प्रजातियां समाप्त हो गईं।
उन्होंने कहा कि गंगा के लिए हमें जो 20 हजार करोड़ रुपए मिले हैं उसमें से 8 हजार करोड़ रुपए नई योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे।
मंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि गंगा के मुद्दे पर विशेष उल्लेख के जरिए अलग से चर्चा कराई जाए ताकि देश को सदन के माध्यम से इस बारे में पूरी जानकारी मिल सके कि गंगा के बारे में हम क्या कर रहे हैं। भारती ने सदन को आश्वासन दिया कि नमामिगंगे का पहला चरण अक्तूबर, 2016 में, निर्मलता का दूसरा चरण अक्तूबर, 2018 तक और तीसरा चरण वर्ष 2020 तक पूरा हो जाएगा। उमा भारती ने कहा “जब आए हैं गंगा के दर पर तो कुछ करके उठेंगे, या तो गंगा निर्मल हो जाएगी या मर के उठेंगे।”