जानिए क्रैनबेरी के फायदे और नुकसान के बारे में…

क्रैनबेरी (Cranberry) जिसे हिंदी में करोंदा कहा जाता है, यह छोटे अम्‍लीय जामुन के सामान फल होते हैं जो सदाबहार झाड़ियों पर फलते हैं। यह फल उत्‍तर अमेरिका के मूल निवासी माने जाते हैं। पोषक तत्‍वों (Nutritional) की अधिकता के कारण करोंदा के फायदे बहुत अधिक हैं। करोंदा में एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों की अच्‍छी मात्रा होने के कारण यह सुपर फूड के रूप में देखा जाता है। करोंदा के जूस का उपयोग भी विभिन्न प्रकार की परेशानियों को दूर करने में किया जाता है। आइये जानते है करोंदा के फायदे और नुकसान के बारे में।

जानिए क्रैनबेरी के फायदे और नुकसान के बारे में...

करोंदा के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अधिक हैं। इनके औषधीय गुण मूत्र पथ संक्रमण (UTI), श्वसन संबंधी विकार, गुर्दे की पथरी, कैंसर और हृदय रोग से राहत दिलाने मे मदद करते हैं। करोंदा के फायदे पेट विकारों (stomach disorders) और मधुमेह को रोकने में भी है, इसके साथ ही साथ यह दांतों से संबंधित परेशानियों को भी कम करते हैं।

करोंदा के फायदे – karonda ke fayde in Hindi

क्रैनबेरी स्‍वादिष्‍ट फल होते है और इसमें उपयोगी जरूरी पोषक तत्‍व पाए जाते हैं। करोंदा विभिन्‍न विटामन और एंटीआक्‍सीडेंट (Antioxidant) का अच्‍छा स्रोत होता है। इसका उपयोग गुर्दे की बीमारियों के इलाज के रूप में उपयोग किया गया है। बहुत सी बीमारियों को ठीक करने के लिए करोंदा (cranberry fruit) का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। आइऐ जाने करोंदा के फायदे क्‍या हैं।

कैंसर के उपचार में करोंदा के फायदे – Cranberry for Prevents Cancer in Hindi

प्रोंथोसाइनिडिन (proanthocyanidins) की अच्‍छी मात्रा करोंदा में उपलब्‍ध होती है, जो विभिन्‍न कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है। अध्‍ययन बताते हैं कि फ्लैवोनोइड्स की अच्‍छी मात्रा वाले आहार कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। करोंदा में एंटी-कैंसर जन्‍य (anti-carcinogenic) घटक होते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं के विकास को कम करते हैं। विशेष तौर पर यह कोलन कैंसर और प्रोस्‍टेट कैंसर (Prostate cancer) को रोकता है। अध्‍ययनों के मुताबिक प्रोथेनोकैनिडिन रक्‍त वाहिकाओं में सूक्ष्‍म ट्यूमर के विकास को भी कम करता है। करोंदा में उपस्थित पोषक तत्‍व स्‍तन कैंसर कोशिकाओं को भी रोकने में मदद करते हैं।

करोंदा जूस के फायदे मूत्रपथ संक्रमण को रोके –

क्रैनबेरी में प्रोथेन्‍थैनिडिन (proanthocyanidins) होते हैं यह आमतौर पर पौधों में पाया जाने वाला एक यौगिक होते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह यौगिक यूटीआई को मूत्रपथ की कोशिकाओं में बैक्‍टीरिया को रोकने में मदद करता है। मूत्रपथ संक्रमण अधिक मात्रा में मूत्र पथ में सूक्ष्‍मजीवों (micro-organisms) की उपस्थिति को दर्शाता है। मूत्राशय में इन संक्रमणों का विकास हो सकता है। करोंदा मे उपस्थिति प्रोंथोसाइनिडिन जिनमें एंटी-क्लिंगिंग (anti-clinging) गुण होते हैं, जो बैक्‍टीरिया को मूत्राशय की दीवारों पर बैक्‍टीरिया के विकास को रोकते हैं और उन्‍हें मूत्र के माध्‍यम से बाहर निकाल देते हैं।  यदि आपको मूत्र (Urine) से संबंधित रोग है तो आपके लिए करोंदों का सेवन लाभकारी हो सकता है।

करोंदे खाने के फायदे एंटी-ट्यूमर प्रभाव के लिए –

पॉलीफेनोलिक (polyphenolic) यौगिकों की अच्‍छी मात्रा करोंदे के फल में उपस्थित रहती है जो एंटी-ट्यूमर प्रभाव का कारण माना जाता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि करोंदों का नियमित सेवन करने से फेफड़ों का कैंसर, स्‍तन  कैंसर, कोलन कैंसर (lung, breast, colon), प्रोस्‍टेट और अन्‍य कैंसर के विकास और उनके फैलने की संभावना को कम किया जा सकता है। करोंदा में सैलिसिलिक एसिड भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो सूजन को कम करने, खून को थक्‍के (blood clots) के रूप में जमने से रोकने और ट्यूमर को खत्‍म करने में मदद करते हैं। अगर आपको ऐसे किसी भी प्रकार के खतरे की संभावना है तो आप करोंदे (Cranberry) का उपभोग कर सकते हैं।

क्रेनबेरी का लाभ पाचन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए –

आपके पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ्‍य बनाने वाले यौगिक करोंदा में अच्‍छी मात्रा में होते हैं। ये यौगिक हेलिकोबैक्‍टर पाईलोरी (Helicobacter pylori) बैक्‍टीरिया को पेट के अंदर बढ़ने और फैलने से रोकते हैं। पाईलोरी बैक्‍टीरिया को पेट में नियंत्रित करना आवश्‍यक होता है क्‍योंकि इन बैक्‍टीरिया की अधिक मात्रा होने पर ये पेट के अल्‍सर (stomach ulcers) का कारण बनते हैं।

हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए करोंदा के फायदे –

दिल से संबंधि‍त बीमारीयों को दूर करने और कार्डियोवैस्‍कुलर (Cardiovascular) स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखने में करोंदा फल मदद करता है। करोंदा में फ्लैनोनोइड एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं जो कि एथेरोस्‍क्‍लेरोसिस (atherosclerosis) के खतरे को कम करने में मदद करते है। एथेरोस्‍क्‍लेरोसिस एक बीमारी है जिसमें रक्‍त में पाए जाने वाले वसा, कैल्शियम और कोलेस्‍ट्रॉल के निर्माण के कारण धमनियों में अवरोध (narrowed) उत्‍पन्‍न हो जाता है।

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यह शरीर के बाकी हिस्‍सों में ऑक्‍सीजन युक्‍त रक्‍त के प्रवाह को रोकता है जो दिल के दौरे और स्‍ट्रोक जैसे घातक समस्‍याओं का कारण बन सकता है। करोंदा में उपस्थित यौगिक कम घनत्‍व वाले लिपोप्रोटीन (lipoprotein) ( एलडीएल कोलेस्‍ट्रोल) के ऑक्‍सीकरण को कम करने में मदद करते हैं और रक्‍त प्‍लेटलेट्स (platelets.) को बढ़ाने में मदद करते हैं।

करोंदा के नुकसान –

  • इस खट्टे फल के फायदे बहुत अधिक हैं लेकिन इसे कम मात्रा में सावधानी के साथ सेवन करना चाहिए। मूत्र प्रणाली से संबंधित सभी प्रकार की परेशानियों का इलाज करोंदा फल से नहीं किया जा सकता है।
  • इंटरस्टिशियल सिस्‍टाइटिस (interstitial cystitis) वाले लोगों को करोंदा का सेवन करने से बचना चाहिए। यह मूत्राशय से संबंधित बीमारी है जो आपके मूत्राशय को कमजोर करता है और मूत्र त्‍याग करते समय तेज दर्द का अनुभव होता है। ऐसी स्थिति में आप यदि करोंदा या करोंदे के जूस का सेवन करते हैं तो यह इस समस्‍या को और अधिक बढ़ा सकता है।
  • करोंदे के जूस का अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह दांत की लेयेर का कमजोर होने (teeth enamel) का कारण बन सकता है।
  • मधुमेह और पेट की समस्‍याओं से ग्रसित लोगों को भी करोंदा के जूस का सेवन करते समय सावधानी रखना चाहिए। इस रस का सेवन करने से पेट की परेशानी, दस्‍त, और उच्‍च रक्‍त शर्करा का स्‍तर बढ़ सकता है।
  • करोंदा का रस कुछ दवाओं विशेष रूप से दिल की दवाओं के असर को प्रभावित कर सकता है। ऐसे रोगीयों को करोंदा के जूस का सेवन करने से पहले डॉक्‍टर से परामर्श लेना चाहिए।

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