कुंवारे बुजुर्गों का वो गाँव जो आज भी 3 दशक पूर्व मिले अभिशाप से मुक्त नहीं हो पाया है ! देखें…

रिपोर्ट – अश्वनी बाजपेई

औरैया : एक ऐसा खुशहाल गांव जिसकी खुशियों को लग गई एक ऐसी नजर जिसके चलते गांव के निवासियों को लगा ऐसा अभिशाप जो बन कर रह गया कुंवारे बुजुर्गों का गांव |

मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस ग्राम के सैकड़ों ग्रामीण लगभग 3 दशक पूर्व गाँव छोड़कर पलायन कर गए थे  लेकिन आज भी इस गांव में अपनी जमीन और मकान के चक्कर में बहुत से ग्रामीण यहां रह रहे हैं |

और उन्हें उम्मीद भी है शायद इनके दिन बहुरेंगे इसी के इंतज़ार में आज भी यहां के बाशिंदे अधिकारियों की रास्ता देखते मिल जाएंगे |

यूपी के औरैया जनपद का यह कैथौली गांव आज भी डाकुओं के अभिशाप का शिकार है | यह गांव तकरीबन 850 लोगों की आबादी वाला है | लेकिन यहां डाकुओं के आतंक ने जो इन ग्रामीणों को दिया वह कभी न भूलने वाला दर्द है |

यहाँ ग्रामीणों की शादी में डकैत जो रोड़ा बने तो आज भी लोग कुंवारे ही रह गए | गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन को आज मजबूर हैं तो कुछ पलायन कर पहले ही जा चुके हैं |

अयाना थाना क्षेत्र के ग्राम कैथौली जो कि आज भी उन बुरे दिनों को याद कर सहम जाता है | जिले का ये गांव खुद में कई खौफनाक कहानी समेटे हुए है |

लगभग 3 दशक पूर्व यहां डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन कर रहे हैं | जो की खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खाने को मजबूर हैं लेकिन उनकी आंखों में उन बुरे दिनों का हाल आज भी बसा हुआ है |

यह गाँव डाकुओं के अभिशाप का शिकार बना हुआ है | इसकी दास्ताँ सुन किसी की भी रूह कांप उठेगी | दो दशक पहले बीहड़ों में बसे इस कैथौली गांव में दिन और रात सिर्फ खौफ के साए में कटती थी |

ग्रामीणों पर आए दिन डकैतों द्वारा किये गए अत्याचार, लूट, हत्याएं लोगों के जेहन में आज भी बसे हुए हैं | कुछ परिवारों ने तो आंखों के सामने अपनों को मौत के घाट उतरता देख गांव से पलायन ही कर दिया |

जिनके घरों में आज भी जंग खाए ताले ही लटकते दिखाई देते हैं | तकरीबन 850 की आबादी वाला यह गांव अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां करता है | ग्रामीणों का कहना है कि तब के युवा आज बुजुर्ग हो गए और उनके सर पर सेहरा नहीं बंध पाया |

डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था | लोगों का कहना है  कि गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग अकेले खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं |

 

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लगभग 3 दशक पूर्व बीहड़ी गांवों में डकैतों का दबदबा इस कदर था कि किसी की हिम्मत उनके फरमान को अनसुना करने की न थी | जंगलों से लेकर गांव के गलियारों तक डाकुओं का कहर बरसता था |

ऐसे में उनके द्वारा ग्रामीणों पर ढाये गए सितम इस तरह हावी था कि जिसकी रार आज तक यह गांव नहीं भुला पा रहा है | दिन दहाड़े डाकुओं का आतंक हंसते खेलते परिवारों पर टूट जाता |

दहशत के चलते अब तक वापस नहीं लौटे हैं कोई भी गांववाले | कैथौली गांव के लोग आज तक उन दिनों को कोसते हैं | जिनके कारण उनकी गृहस्थी नहीं बन पाई और ना ही उनकी शादी हो पाई |

आज भी वह ग्रामीण खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अकेले जीवन बिता रहे हैं | मग़र अभी भी इस गाँव का दुर्भाग्य देखिये की डकैतों द्वारा मारे गए लोगों की विधवाएं आज सरकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं और शासन- प्रशासन की नज़र शायद इस गाँव पर नहीं पड़ रही |

वहीं पुलिस के अनुसार अब जनपद भर में दस्यु का नामों निशान तक नहीं रह गया है और लगातार पुलिस की चहल कदमी से ग्रामीणों को भय मुक्त किया जा रहा है |

औरैया जनपद लगभग ढाई-तीन दशक पूर्व दस्युओं से भरे इस जनपद में खूंखार दस्यु जैसे निर्भय गुर्जर , राम आसरे फक्कड़ , लालाराम , श्रीराम इत्यादि दस्युओं द्वारा तांडव व हत्याकांड को अंजाम दिया गया |

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उस समय भारत सरकार का नहीं बल्कि इन दस्युओं का बकायदा फरमान जारी होता था | जिसके चलते इन ग्रामीणों को इन दस्युओं का आदेश मानना पड़ता था न मानने पर कई लोगों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा था | वर्तमान समय मे दस्यु उन्मूलन हो चुका है लेकिन यहां के बाशिंदे आज भी उस दौर को याद कर सिहर उठते हैं |

 

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