कुंभ के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने पूरी की तैयारीयां, नहीं होगी कोई परेशानी

रिपोर्ट- ऋषिकेश

ऋषिकेश। आगामी 2019 में प्रयागराज में होने वाले कुम्भ मेले को लेकर टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने अपनी तैयारिया पूरी कर ली है, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने दावा किया है कि आगामी महा कुंभ में श्रद्धालुओं के स्नान के लिए भरपूर मात्रा में गंगा में पानी को छोड़ा जाएगा। ताकि श्रद्धालु गंगा स्नान का लाभ ले सके।

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के प्रगतिपुरम स्थित ऑफिसर क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान टीएचडीसी के तकनिकी निदेशक एच0एल0 अरोड़ा ने पत्रकारों को बताया कि 75प्रतिशत भारत सरकार व 25प्रतिशत उत्तर प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी वाली टीएचडीसी देश को पर्याप्त बिजली उपलब्ध करा रही है।

जिसके चलते टीएचडीसी के दो हाइड्रोइलेक्ट्रिक उत्पादन केंद्र टिहरी व कोटेश्वर में कार्य कर रहे है वहीं गुजरात के पाटन में 50मेगावाट तथा द्वारका में 63मेगावाट क्षमता वाले पवन विधुत उत्पादन केंद्र भी भविष्य की योजनाओं में शामिल है उन्होंने बताया कि वर्तमान में टीएचडीसी के पास विभिन्न चरणों मे 6,374 मेगावाट संस्थापित क्षमता की 18 परियोजनाओ पर कार्य कर रहा है। वही टीएचडीसी की टिहरी परियोजना उत्तरी क्षेत्र को बिजली, सिंचाई की सुविधा व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उत्तर प्रदेश को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने वाली एक बहुद्देशीय परियोजना भी है।

अगर घर में रख ली ये चीज़, तो हो जाएगी पैसों की बरसात

कार्मिक निदेशक विजय गोयल ने बताया कि 29 अगस्त 2016को कोयला मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टीएचडीसी को खुर्जा में अमिलिया कोल माईन का आबंटन किया गया था जिस पर कारपोरेशन द्वारा तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है साथ ही उत्तराखंड के ऋषिकेश के प्रगति पुरम स्थित कारपोरेशन का मुख्यालय तेजी से हाइड्रो पवार सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए पर्यावरण और सामाजिक मूल्यों के लिए भी प्रतिबद्ध है ओर ऊर्जा के क्षेत्र में नित नए आयामो को छु रहा है।

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वहीं कार्मिक निदेशक विजय गोयल ने कहा कि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ऊर्जा क्षेत्र के साथ ही सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में भी पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कार्य कर रहा है, प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन से लेकर युवाओं को गुणवत्ता युक्त शिक्षा व आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी टीएचडीसी दृढसंकल्प है, उन्होंने उत्तराखंड को बांधो से होने वाले नुकसान को मात्र भ्रांति बताते हुए कहा कि टिहरी बांध इसका एक मात्र उदाहरण है।

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