कांस्टेबल ने महिलाओं–बच्चों को तो बचा लिया कुचलने से लेकिन खुद ट्रेन की चपेट में आकर गंवा बैठा जान !

ख़ुशी होती है जब इस मतलबी जहान में कोई दूसरों के लिए जीता है. और ज़्यादा ख़ुशी होती है जब किसी ऐसे शख्स से मिलो जो दूसरे के लिए जान भी दे सकता है. लेकिन दोस्तो यकीन करो बहुत दुःख होता है, जब ऐसे किसी नेकदिल इंसान की ज़िन्दगी चली जाती है. खूब मतलबी होकर सोचो तो भी, एक टीस उठती है कि अगर ये इंसान ज़िंदा होता तो हमारी दुनिया थोड़ी और खूबसूरत होती. तो ऐसे ही एक इंसान की मौत से मन बहुत व्यथित है.

दिल्ली के आजादपुर इलाके में ऐसी घटना हुई कि जिससे यकीन हो गया कि दुनिया बची रहेगी, क्यूंकि अच्छे लोग उसे बचाने के लिए मारे जाएंगे.

जगबीर सिंह राणा. ये नाम है उस कांस्टेबल का जिसने बच्चों को बचाते हुए अपनी जान की आहुति दे दी.

रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारियों के अनुसार कांस्टेबल जगबीर सिंह राणा की नाईट शिफ्ट चल रही थी – शाम के 8 बजे से लेकर अगले दिन के सुबह के 8 बजे तक.

सोमवार को रात साढ़े नौ बजे का समय रहा होगा. जगबीर की ड्यूटी आजादपुर रेलवे ट्रैक पर सिग्नल 7 के पास थी. सिग्नल ग्रीन था. उनके सामने ट्रैक पर एक नहीं बल्कि दोनों तरफ से ट्रेन आ रही थी. एक ट्रेन होशियारपुर दिल्ली से अम्बाला जा रही थी और दूसरी कालका से नई दिल्ली की तरफ. तभी जगबीर राणा की नजर ट्रैक पर कर रहे दो-तीन बच्चों और महिलाओं पर पड़ी.

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इन लोगों को अम्बाला जा रही ट्रेन तो दिख रही थी पर कालका शताब्दी नजर नहीं आई. यही बात बताने के लिए जगबीर तेज़ी से उनकी तरफ दौड़े. वो चिल्ला भी रहे थे लेकिन ट्रेन की तेज़ आवाज़ के चलते किसी ने भी जगबीर को नहीं सुना.

जैसे-तैसे जगबीर उन तक पहुंच गए और बच्चों और महिलाओं को ट्रैक से दूर धकेल दिया. और इस दौरान इससे पहले कि वो खुद को बचा पाते, ट्रेन उनको रौंद कर चल दी.

जगबीर ऑरिजिनली सोनीपत, हरियाणा निवासी थे और उनकी उम्र 50 वर्ष थी . रेलवे पुलिस बल के अधिकारियों ने बताया कि –

इंजन से जगबीर के कंधे पर टक्कर लगी और वो उछल कर दूर गिर गए. इसकी वजह से उनके सिर पर गंभीर चोट लग गई और उनकी मौत हो गई. पुलिस बल उनके परिवार की पूरी मदद करेगा.

 

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