करोड़ों का रुपया आता है अपने देश क्योंकि आज हैं ये खास

विश्व में प्रवासियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 18 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ के रूप में मनाने का एलान किया। प्रवासियों का देश की उन्नति में बड़ा योगदान रहा है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के मौके पर जानते हैं आज पूरी दुनिया में प्रवासियों की स्थिति, संख्या और उनका क्या प्रभाव है।

करोड़ों का रुपया आता है अपने देश

कुछ दिनों पहले विश्व बैंक ने ‘माइग्रेशन एंड रेमिटेंस’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक अपने देश में विदेशी मुद्रा भेजने के मामले में भारतीय प्रवासी सबसे आगे रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि प्रवासी भारतीयों ने साल 2018 में 80 अरब डॉलर (57 हजार करोड़ रुपए) भारत भेजे।

दूसरे नंबर पर है चीन। चीन के प्रवासियों ने 67 अरब डॉलर भेजे हैं। भारत और चीन के बाद मेक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है। भारतीय प्रवासियों द्वारा भारत भेजे गए कुल धन का 75% से अधिक हिस्सा 10 बड़े देशों में कमाया गया है। इन देशों में अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, यूएई, जर्मनी, कुवैत, फ्रांस, कतर, ब्रिटेन और ओमान शामिल हैं।

विश्व बैंक की यह रिपोर्ट बताती है कि विभिन्न देशों के प्रवासियों द्वारा विकासशील देशों को आधिकारिक रूप से भेजा गया पैसा 2018 में 10.8 प्रतिशत बढ़कर 528 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। पिछले तीन सालों के दौरान भारतीय प्रवासियों द्वारा भारत को भेजे गए पैसे में अहम बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह सबकुछ ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों ने भारत के आयात बिल को तेजी से बढ़ा दिया है। वर्ष 2018 में देश का राजकोषीय घाटा और वित्तीय घाटा बढ़ गया है। डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत भी कमजोर हुई है। विदेश व्यापार घाटा भी बढ़ गया है।

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देश के घटते हुए विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ाना जरूरी है। दिसंबर, 2018 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर करीब 393 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है। यह अप्रैल में 426 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

200 देशों में करीब 3 करोड़ प्रवासी भारतीय

दुनिया के 200 देशों में रह रहे करीब तीन करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय विभिन्न देशों में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। एक ओर विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उनके योगदान की तारीफ की जा रही है। तो दूसरी ओर कम कुशल और कम शिक्षित प्रवासी कामगार भी खाड़ी देशों सहित कई मुल्कों में विकास के सहभागी बन गए हैं। खाड़ी देशों में अकुशल और मामूली शिक्षित प्रवासी भारतीय कामगारों ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी क्षमता को साबित किया है।

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28 साल में प्रवासी 346 फीसदी बढ़े 

देश के बाहर रहने भारतीयों की संख्या पिछले 28 साल में 346 फीसदी बढ़ी है। 1990 में विदेश में रहने वाले भारतीयों की संख्या 90 लाख थी। यह अब बढ़कर 3.12 करोड़ तक पहुंच गई है। वहीं इस दौरान प्रति व्यक्ति आय 522 फीसदी बढ़ी है। इसका आंकड़ा 1,134 डॉलर से बढ़कर 7,055 डॉलर तक पहुंच गया है। आमदनी बढ़ने का असर यह हुआ है कि जिन्हें देश में मनमाफिक नौकरी नहीं मिल पाती है वे विदेश का रुख करने लगे हैं। यह जानकारी इंडियास्पेंड द्वारा यूएन के आर्थिक विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आई है।

वहीं एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 6 साल में विदेश में रहने वाले अकुशल (अनस्किल्ड) भारतीयों की संख्या 39 फीसदी की कमी आई है। 2011 में इनकी संख्या 6.37 लाख थी। यह 2017 में घटकर 3.91 लाख रह गई। यह आंकड़े उन अनस्किल्ड भारतीयों के हैं जो इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड पासपोर्ट पर मध्य-पूर्व या दक्षिण एशिया में नौकरी के लिए देश छोड़कर गए हैं।

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अमेरिका में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय

अमेरिका में प्रवासी भारतीयों का भारी दबदबा है। अमेरिका में करीब 17 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। ये कुल अमेरिकी आबादी का करीब 0.6 फीसदी हैं। यहां रहने वाले भारतीय बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे, बहुत ज्यादा जागरुक और बहुत ज्यादा कमाने वाले लोग हैं। इतना ही नहीं अमेरिका में यह एक राजनीतिक ताकत के रूप में उभर के आए हैं। भारतीयों की योग्यता और क्षमता अन्य देश के नागरिकों से ज्यादा है।

अमेरिका में भारतीयों का आंकड़ा हैरान करनेवाला

दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में काम करने वाले लोगों में 36 फीसदी भारतीय हैं। इसी तरह अमेरिका में कार्यरत डॉक्टरों में से 38 फीसदी और वैज्ञानिकों में 12 फीसदी भारतीय हैं। अमेरिका-भारत वाणिज्य मंडल के अनुसार कंप्यूटर क्रांति लाने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में भारतीयों की संख्या 34 फीसदी है। इसी तरह आईबीएम के 28 फीसदी और इंटेल के 17 फीसदी कर्मचारी भारतीय हैं।

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खाड़ी देश में 70 फीसदी भारतीय मजदूर

1990 से 2017 के बीच लगभग तीन दशक के समय में कतर में रहने वाले भारतीयों की संख्या 803 गुना बढ़ी है। यह 1990 के 2,738 की तुलना में बढ़कर 22 लाख तक पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।

सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं। खाड़ी देशों में करीब 30 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं। ब्रिटेन में करीब 10 लाख प्रवासी भारतीय हैं। कनाडा में करीब डेढ़ लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक खाड़ी देश में रहने वाले 70 फीसदी प्रवासी भारतीय यानी करीब 21 लाख लोग खाड़ी देशों में मेहनत-मजदूरी करके जीवन चला रहे हैं।

 

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