आखिर क्यों पांडवों को खाना पड़ा था अपने मृत पिता का मांस, वजह है बेहद हैरान करने वाली…

महाभारत से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है। ऐसा ही एक रहस्य पांडवों से जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में जानकर आपको बेहद हैरानी होगी। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उनकी लाश का मांस खाया था।

लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया था, ये जानकर आपको और भी ज्यादा हैरानी होगी।

कहा जाता है कि युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के पिता पांडु को किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि अगर वो किसी भी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

आखिर क्यों पांडवों को खाना पड़ा था अपने मृत पिता का मांस

इसी के चलते उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी कुंती और माद्री से शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, लेकिन कुंती को ऋषि दुर्वासा ने वरदान दिया था कि वो किसी भी देवता का आह्वान करके उनसे संतान प्राप्ति का वरदान मांग सकती हैं।

महाराज पांडु के कहने पर कुंती ने एक-एक कर कई देवताओं का आह्वान किया। इसी प्रकार माद्री ने भी देवताओं का आह्वान किया। तब कुंती को तीन पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन मिले और माद्री को दो पुत्र नकुल और सहदेव मिले।

माना जाता है कि एक दिन  पांडु खुद पर नियंत्रण न रख सके और उन्होंने माद्री से शारीरिक संबंध बना लिए। ऐसे में ऋषि के शाप के अनुसार महाराज पांडु की मृत्यु हो गई।

जब पांडु की मृत्यु हुई तो उनके मृत शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिल-बांट कर खाया था। उन्होंने ऐसा अपने पिता पांडु की ही इच्छा के अनुसार किया था, क्योंकि पांचों पांडव उनके वीर्य से पैदा नहीं हुए थे, इसलिए पांडु का ज्ञान और कौशल उनके बच्चों में नहीं आ पाया था।

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इसलिए उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले ऐसा वरदान मांगा था कि उनके बच्चे उनकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल-बांट कर खा लें, ताकि उनका ज्ञान उनके बच्चों में चला जा

पांडवों द्वारा अपने पिता का मांस खाने को लेकर दो मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली मान्यता के अनुसार, मांस तो पांचों भाइयों ने खाया था, लेकिन सबसे ज्यादा हिस्सा सहदेव ने खाया था, जबकि एक अन्य मान्यता के अनुसार सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन टुकड़े खाए थे।

पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ। दूसरे टुकड़े को खाने पर वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही उन्हें भविष्य का भी ज्ञान हो गया।

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