प्लास्टिक की बोतलों से बन रहे सपनों के आशियाने, 7.3 तीव्रता का भूकंप भी नहीं हिला सकता

हर कोई अपने सपनों के आशियाना को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। चाहे फिर बेहतर सीमेंट लगाने की बात करें और मोटे सरिये की। लोगों की बस एक ही इच्छा रहती है कि बड़े से बड़ा भूकंप भी उनके घर को हिला ना पाए। लेकिन फिर भी आए दिन भूकंप से घर की छत आदि गिरने की खबरें आती रहती हैं। लेकिन नाइजीरिया के युवाओं ने इसका एक अनोखा तोड़ निकाल लिया है।


यहां के लोग प्लास्टिक की बोतलों में मिट्टी और कंकड़ भरकर मकार बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 7.3 की तीव्रता का भूकंप भी इन घरों को हिला नहीं सकता। एक घर को बनाने में 3.5 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।
इस देश में बीते 10 सालों से बेरोजगारी लगतार बढ़ रही है। ऐसे में युवाओं ने प्लास्टिक के निपटान और रोजगार का ये तरीका निकाला है। यहां के लोग इस तरीके से पानी की टंकी तक बना रहे हैं।

विशेषज्ञों ने इन घरों की उपयोगिता बताते हुए कहा है कि भूकंप से बचने के अलावा ये घर टिकाऊ भी होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि प्लास्टिक की बोतल को गलने में 450 साल लग जाते हैं।

घरों को बनाने का तरीका बिल्कुल वैसा है जैसे ईंट, सीमेंट और गिट्टी के घर बनते हैं। ये प्रक्रिया न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि सस्ती भी है।
घरों को बनाने के लिए पहले बोतलों को एक के ऊपर एक रखकर चिनाई की जाती है, फिर उन्हें नाइलॉन की रस्सी से बांध दिया जता है। क्वाड्रो इको सॉल्यूशंस कंपनी के सीईओ रेमोन मार्टिन का कहना है कि 600 वर्ग फीट का घर बनाने में करीब साढ़े तीन लाख रुपये का खर्च आता है।

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यहां युवाओं को इस काम से रोजगार मिल रहा है। यहां की कुल आबादी 19 करोड़ है और प्लास्टिक की बोतलें बड़ी बाधा हैं। इस देश से हर साल 3.2 टन कचरा निकलता है।

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