अब एयरपोर्ट पर चेहरा पहचानने वाली तकनीक पर फ्रांसिस्को में लगी पाबंदी…

नई दिल्ली : भारत सहित कई देशों के एयरपोर्ट में चेहरे की पहचान करने वाली टेक्नोलाॅजी अपनाई जा रही है। जहां यह टेक्नोलॉजी अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से शुरू हुई थी, लेकिन बुधवार को इस पर वहीं पाबंदी लगा दी गई। पाबंदी इसलिए लगाई गई क्योंकि इसके जरिए चेहरों की गलत पहचान हो रही थी। साथ ही सामूहिक निगरानी के लिए इसका ज्यादा दुरुपयोग हो रहा था।

 

चेहरा पहचानना

 

जहां पिछले महीने ही गलत पहचान के कारण ऑस्मेन बेह नाम के एक युवक ने चोरी के आरोप में फंसाने पर एपल कंपनी के खिलाफ 6,900 करोड़ रुपए का मुकदमा दर्ज करवाया था।

वहीं सैन फ्रांसिस्को के बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स ने 8 के बदले 1 वोट से इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। लिहाजा, वीडियो क्लिप या फोटोग्राफ के आधार पर किसी की पहचान का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से सार्वजनिक एजेंसियों को मना कर दिया गया है।

 

यहां गोपनीयता और नागरिक अधिकारों का समर्थन करने वाले इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सामूहिक निगरानी के लिए इस तकनीक का दुरुपयोग किया जा सकता है। इससे ज्यादा झूठी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

बता दें की सैन फ्रांसिस्को में गूगल, एपल और फेसबुक जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों के इंजीनियरों ने ऐसे सिस्टम तैयार किए हैं, जो व्यवसाय और ग्राहकों के उपयोग के लिए चेहरों की पहचान और उनका पता लगा सकते हैं। भारत में भी बेंगलुरु समेत 8 एयरपोर्ट्स पर यह सुविधा इसी साल से लागू होने जा रही है।

दरअसल जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के छात्र जोनाथन टर्ले का कहना है कि यह प्रतिबंध हमें सिखाता है कि टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करना हमारे लिए सही नहीं है। यह शहर बड़ी आईटी कंपनियों का हब है।

 

जहां इसके बावजूद इस पर बैन लगाया गया है, जो एक सराहनीय कदम है। कोई भी संघीय कानून राष्ट्रव्यापी चेहरे की पहचान के उपयोग को नियंत्रित नहीं कर सकता है।

 

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