अगर कभी नहीं गए हैं पंजाब तो एक बार जरूर जाएं अबोहर

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की अलग-अलग भारतीय संस्कृतियों मेल पंजाब के छोटे से शहर अबोहर में देखने को मिलता है। घनी आबादी और प्रकृति की प्रचुरता के कारण यह शहर ऐतिहासिक और प्राकृतिक दोनों महत्व रखता है। 12वीं शताब्दी में स्थापित ये शहर भारत-पाकिस्तान की सीमा के निकट स्थित है और इसलिए विभिन्न सभ्‍यताओं, नस्लों और धर्म को मानने वाले लोग यहां रहते हैं। इस शहर में स्थानीय लोग शांति और सौहार्द के साथ रहते हैं और यहां पर आपको विभिन्‍न वेशभूषा देखने को मिल सकती है।

अबोहर

अबोहर वन्यजीव अभयारण्य

अबोहर वन्यजीव अभयारण्य इस शहर का प्रमुख पर्यटन स्‍थल है। बिश्नोई समुदाय द्वारा निर्मित और संरक्षित किए गए इस अभयारण्य में लुप्तप्राय काले हिरण, नीलगाय, साही और कई अन्य लुप्तप्राय एवं स्थानिक प्रजातियों की के पशु देखने को मिलते हैं। ये अभयारण्य हरे जंगल से घिरा हुआ है जो सैलानियों, यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए समान रूप से एक रमणीय स्थल है।

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जोहरी मंदिर

भारतीय संस्कृति और धर्मों की विविधता के साक्षी के रूप में बसे अबोहर में जोहरी मंदिर को एक ऐसे आध्यात्मिक मंदिर के रूप में जाना जाता है, जो देश में की विविधता का अनूठा उदाहरण है। मंदिर में हिंदू देवता भगवान हनुमान की मूर्ति है और मंदिर के बारे में सबसे अनोखी बात यह है कि इसमें सभी प्रकार के लोग दर्शन करने आते हैं। यहां जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। अबोहर के पुराने फ़ाज़िका मार्ग पर स्थित इस मंदिर के दर्शन करने पर आपको अहसास होगा कि भारत में विभिन्‍न धर्म एवं जाति के लोग किस तरह एक साथ सद्भाव के साथ रहते हैं।

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