
हालिया इंडिगो उड़ान संकट के बाद भारतीय विमानन क्षेत्र में डुओपॉली (दो बड़ी कंपनियों के वर्चस्व) के जोखिम को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नई एयरलाइंस को प्रोत्साहित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस क्रम में मंत्रालय ने इस सप्ताह दो प्रस्तावित एयरलाइंस—अल हिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस—को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया है।
केंद्रीय विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी जानकारी देते हुए कहा, “पिछले एक सप्ताह में मैंने भारतीय आसमान में उड़ान भरने की इच्छुक नई एयरलाइंस की टीमों से मुलाकात की—शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस। शंख एयर को पहले ही NOC मिल चुका है, जबकि अल हिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस को इस सप्ताह NOC प्रदान किया गया है।”
मंत्री ने आगे कहा कि मंत्रालय का लक्ष्य अधिक एयरलाइंस को बढ़ावा देना है, क्योंकि भारतीय विमानन उद्योग दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण इसमें और वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। UDAN जैसी योजनाओं ने स्टार एयर, इंडिया वन एयर, फ्लाई 91 जैसे छोटे कैरियरों को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद की है और आगे भी विकास की गुंजाइश है।
यह कदम दिसंबर की शुरुआत में इंडिगो की हजारों उड़ानों के रद्द होने से उत्पन्न हुई अराजकता के बाद उठाया गया है, जिसने बाजार में इंडिगो और एयर इंडिया के वर्चस्व के खतरों को उजागर किया। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में जेट फ्यूल की ऊंची कीमतें और करों के कारण एयरलाइंस की परिचालन लागत बहुत अधिक है।
विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में एयरलाइंस को छोड़कर लगभग सभी हितधारक लाभ कमाते हैं, यही कारण है कि पिछले तीन दशकों में कई एयरलाइंस दिवालिया हो चुकी हैं।
एक अनुभवी विशेषज्ञ ने कहा, “नई एयरलाइन शुरू करना आसान है, लेकिन उसे चलाए रखना बड़ी चुनौती है।” उन्होंने जोर दिया कि उड़ान अब विलासिता नहीं रही, इसे आम आदमी की पहुंच में बनाए रखने के लिए लागत और करों में उचित सुधार जरूरी है।





