फारस की खाड़ी में भारत भेजेगा जंगी जहाजों का बेड़ा

indian-navy-55adec7b647fe_lएजेंसी/ नई दिल्ली।

भारत फारस की खाड़ी में अपने जंगी जहाजों का बेड़ा भेजने जा रहा है। भारत के इस फैसले के पीछे की वजह इस क्षेत्र में कूटनीति के साथ-साथ सैन्य संतुलन बनाना बताया जा रहा है। भारत की कोशिश सुन्नी बहुल अरब देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई और कुवैत के साथ साथ शिया बहुल देश ईरान के साथ रिश्तों में संतुलन बैठाकर चलना है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत अपने पांच युद्धपोतों को अगले महीने पर्शियन गल्फ में तैनात करने के लिए रवाना करेगा। भारत जिन युद्धपोतों को फारस की खाड़ी में तैनाती के लिए भेजने वाला है उनमें गाइडेड मिसाइल से लैस आईएनएस दिल्ली, स्टील्थ आईएनएस तरकश, आईएनएस त्रिखंड मिसाइल पोत आईएनएस गंगा और टैंकर आईएनएस दीपक शामिल हैं।

इनको मुंबई स्थित वेस्टर्न नेवल फ्लीट से 3 मई को दुबई (यूएई) के लिए रवाना किया जाएगा, तीन दिन दुबई में रहने के बाद 12 मई को ये बेड़ा कुवैत पहुंचेगा। इसके बाद ये बेड़ा मनामा (बहरीन) और मस्कट (ओमान) पहुंचेगा। 27-28 मई को यह बेड़ा मुंबई लौट आएगा। इसी वक्त, 20 मई से 23 मई तक, भारत का एक और जंगी बेड़ा ईरान के दक्षिणी तट स्थित बंदर अब्बास पोर्ट सिटी में रहेगा।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर मई में ओमान दौरे पर रहेंगे। इस दौरान आगामी 28 अप्रैल से 13 मई के बीच अलास्का के ईल्सन एयरबेस में सैन्य युद्धाभ्यास में हिस्सा लेकर लौटते वक्त भारतीय वायुसेना के सुखोई-30एमकेआई जेट फाइटर और आईएल-78 मिड-एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट को यूएई में भी एक सैन्य युद्धाभ्यास में शामिल होना है।

इस रणनीति का हिस्सा है युद्धपोतों की तैनाती?

भारत पर्शियन गल्फ से मलक्का स्ट्रेट तक एक एक सैन्य संतुलन स्थापित करना चाहता है, साथ ही भारत अरब देशों से अपने सैन्य और कूटनीतिक रिश्ते मजबूत करना चाहता है।

एक अधिकारी के मुताबिक, ‘इंडियन वॉरशिप्स और एयरक्राफ्ट्स को पर्शियन गल्फ में तैनात करने का मकसद गल्फ कंट्रीज से अपने रिश्ते मजबूत करना है। ये हमारी स्ट्रैटजी का भी हिस्सा है।’

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में सुन्नी बहुल सऊदी अरब का दौरा किया था। मोदी ने इससे पिछले साल यूएई का दौरा भी किया था। ये दोनों ही देश पारंपरिक रूप से पाकिस्तान के करीबी रहे हैं। मोदी के इस दौरे के तुरंत बाद ईरान से संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस शिया बहुल देश का दौरा किया था।

ईरान भारत के लिए बेहद अहम है। इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुंचने के लिए ईरान अहम रास्ता है। ईरान के चाबहार बंदरगाह से भारत को चीन का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को विकसित कर रहा है।

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