थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद: 14 की मौत, इतने विस्थापित, चरम पर तनाव

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसमें शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और 1 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। दोनों देशों की सेनाओं ने गोलीबारी, रॉकेट और आर्टिलरी का इस्तेमाल किया, जिससे तनाव और बढ़ गया है।

थाईलैंड ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर एफ-16 फाइटर जेट से हमले किए, जबकि कंबोडिया ने थाईलैंड के सीमावर्ती गांवों पर हमले का आरोप लगाया। दोनों देश एक-दूसरे पर पहले हमले का इल्जाम लगा रहे हैं।

विवाद का कारण और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किमी लंबी सीमा को लेकर विवाद 1907 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाए गए नक्शे से शुरू हुआ। इस नक्शे की अस्पष्टता के कारण दोनों देशों के बीच प्रीह विहार और ता मुएन थम जैसे ऐतिहासिक खमेर मंदिरों पर दावे को लेकर तनाव रहा। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने प्रीह विहार मंदिर पर कंबोडिया का अधिकार स्वीकार किया, जिसे थाईलैंड ने माना, लेकिन आसपास के क्षेत्रों पर विवाद बना रहा। 2008 में यूनेस्को द्वारा प्रीह विहार को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने के बाद हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें 20 लोगों की मौत और हजारों विस्थापित हुए। 2011 में कंबोडिया ने फिर ICJ का रुख किया, जिसने 2013 में अपने फैसले को दोहराया।

हालिया तनाव और हिंसा

तनाव मई 2025 में फिर भड़का, जब एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य उपस्थिति बढ़ाई। 23 जुलाई को एक थाई सैनिक के बारूदी सुरंग विस्फोट में पैर गंवाने के बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और अपने राजदूत को वापस बुला लिया। 24 जुलाई को ता मुएन थम मंदिर के पास गोलीबारी शुरू हुई, जिसमें थाईलैंड के अनुसार 13 नागरिक और एक सैनिक मारे गए, जबकि कंबोडिया ने एक नागरिक की मौत की पुष्टि की। थाईलैंड ने कंबोडिया पर रॉकेट और आर्टिलरी हमले का आरोप लगाया, जिसमें एक अस्पताल भी क्षतिग्रस्त हुआ। कंबोडिया ने दावा किया कि थाई सैनिकों ने पहले हमला किया।

विस्थापन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

हिंसा के कारण थाईलैंड के सुरिन, सिसा केट और उबोन रत्चाथानी प्रांतों में 1 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए, जबकि कंबोडिया के ओड्डार मीनचे प्रांत में 1,500 परिवारों को निकाला गया। थाईलैंड ने सभी सीमा चौकियां बंद कर दीं और कंबोडिया ने थाई आयात, फिल्में और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। कंबोडिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल बैठक की मांग की है, जबकि थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कहा कि वार्ता से पहले हिंसा रुकनी चाहिए। मलेशिया, चीन, अमेरिका और आसियान ने शांति की अपील की है, लेकिन आसियान की गैर-हस्तक्षेप नीति के कारण मध्यस्थता की संभावना कम है।

राजनीतिक संकट

थाईलैंड में यह विवाद राजनीतिक संकट का कारण बना है। प्रधानमंत्री पेतॉन्गतार्न शिनावात्रा को 1 जुलाई को एक लीक फोन कॉल के कारण निलंबित कर दिया गया, जिसमें उन्होंने कंबोडिया के प्रभावशाली नेता हुन सेन के प्रति सम्मानजनक रवैया दिखाया और थाई सेना की आलोचना की। इस कॉल ने थाईलैंड में राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काईं और उनकी बर्खास्तगी की मांग उठी। कंबोडिया में, हुन सेन अपने बेटे और वर्तमान प्रधानमंत्री हुन माने के लिए राष्ट्रवादी समर्थन बढ़ाने की कोशिश में दिख रहे हैं।

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