
नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुरुवार को राज्यसभा में विदेश नीति के मुद्दों खासतौर पर चीन के साथ सैन्य गतिरोध को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र हित खतरे में हैं। विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर सदन को बताया कि भारत ने दोनों देशों से शांति का माहौल स्थापित करने के लिए हर संभव कोशिश की है। उन्होंने कहा जंग से नहीं बातचीत से निकलेगा डोकलाम का हल। पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकता है।
विदेश नीति को लेकर कांग्रेस ने की सरकार की निंदा
चीन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े विरोधी दल के नेता ने भारत सरकार से स्थिति के बारे में जानने के बजाय चीन के राजदूत को बुलाकर जानकारी मांगी। इस पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सफाई देने की कोशिश की।
स्वराज ने कहा कि कांग्रेस नेता को पहले सरकार से हालत की जानकारी लेनी चाहिए थी फिर चीन के राजदूत से बात करनी चाहिए थी। लेकिन विपक्ष ने ऐसा नहीं जरुरी नहीं समझा और चीन के राजदूत से बातचीत को प्रमुखता दी।
उन्होंने सदन में भारत सरकार के स्टैंड को सदन में रखते हुए कहा कि चीन और भूटान के बीच में क्या विवाद है और इसमें भारत को क्यों शामिल होना पड़ा है। विदेश मंत्री ने कहा कि युद्ध से किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकलता। धैर्य और भाषा संयम और रणनीतिक रास्तों से हल निकालने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हमारी आर्थिक क्षमता में चीन का बड़ा योगदान है। दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था में मजबूती एक दूसरे के सहयोग से ही आएगी। उन्होंने कहा कि मई, 2014 में 116 बिलियन डॉलर का निवेश था अब चीन से 37 फीसदी ज्यादा पैसा भारत में आया है।
एचवन वीजा पर उन्होंने कहा कि अमेरिका में पहले वीजा की संख्या 65,000 थी, अटल जी की सरकार में एक लाख हो गई और यूपीए के कार्यकाल में यह फिर 65,000 हो गई। उन्होंने कहा कि स्पाउस वीजा 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने आरंभ किया। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
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उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति की सफलता यह है कि आज अमेरिका और रूस दोनों ही भारत के साथ हैं। इस्राइल के बारे में स्वराज ने कहा कि इस्राइल हमारा मित्र है लेकिन फिलीस्तीन को हम कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस्राइल सीधे इसलिए गए क्योंकि दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को 15 साल हुए थे।
बता दें कि विदेश नीति पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सुषमा स्वराज को विदेश मंत्री के रूप में सही तौर काम करने नहीं दिया जाता है। हालांकि, सुषमा ने इसका भी जवाब दिया और कहा कि विदेश नीति पर पीएम मोदी मुझसे हमेशा बात करते हैं।