माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से वसंत ऋतु का आगमन होता है। मां सरस्वती की पूजा का यह दिन वसंत ऋतु का पहला दिन माना जाता है। इसे हम वसंत पंचमी के नाम से जानते हैं। इसी दिन मां सरस्वती की जयंती भी मनाई जाती है।
यह दिन प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन तक पेड़ों में लगे सूखे पत्ते झड़ जाते हैं और नए कोपल उगने लगते हैं। वातावरण में हरियाली और खुशहाली का माहौल होने लगता है। साथ ही इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना भी की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान व बुद्धि की ही नहीं वाणी और संगीत की भी देवी हैं।
इस साल वसंत पंचमी 1 फरवरी बुधवार के दिन मतलब आज मनाई जा रही है। आज के दिन से होली की भी तैयारी शुरू हो जाती है। इस दिन से चौराहों पर लकड़ी डालकर होलिका दहन की तैयारी शुरू कर दी जाती है। इस दिन सब लोग स्नान कर के पीला वस्त्र धारण करके पूजा करते हैं। सभी लोग भेजन में भी पीला रंग मिलाकर बनाते हैं।
ये वसंत पंचमी है खास-
लखनऊ के केशवनगर श्रीहरिकेश महादेव मंदिर के पंडित सियाराम तिवारी ने बताते हैं इस साल वसंत पंचमी के दिन तिहरा योग बनेगा-
- 31 जनवरी को रात 3 बजकर 26 मिनट से वसंत पंचमी शुरू हो जाएगी। यह 1 फरवरी यानी आज रात 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगी।
- आज ही यानी 1 फरवरी को 12 बजे से लेकर 1 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल का समय है। इस समय को छोड़कर पूरा दिन शुभ है।
- इस साल आज ही के दिन उत्तरा भाद्र नक्षत्र भी है। सुबह 7:51 तक शिव योग और उसके बाद सिद्ध योग मिलेगा। यह योग साधना और श्रेष्ठ कार्य के लिए शुभ होता है।
इनकी भी होती है पूजा-
आज के दिन कामदेव को भी पूजा जाता है। वसंत को कामदेव का साथी माना जाता है। हल्की धूप,ठंड हवा, सुहाना मौसम दिल में प्रेम की भावना उत्पन्न करता है। नए कोपल, गुलाबी मौसम से मनमोहक नजारा हेता है। हर तरह खुशहाली और हीरियाली होती है। पक्षियों की चहचहाहट, फूलों की महक सब प्रेम का उत्साह भर देते हैं। ये वंसत ऋतु कामदेव की ऋतु है। माना जाता है कि कामदेव इस दिन मौसम में मादकता भर देते है। इस प्यार भरे मौसम का स्वागत करने के लिए कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी के दिन पितृ तर्पण भी किया जाता है।