रत्नों को उंगली की जगह शरीर के इन हिस्सों में पहनने से होता है ज्यादा लाभ, जानें वजह

ज्योतिष में रत्न पहनने के पहले कुछ खास निर्देश दिए जाते हैं। आप सब जानते भी है कि, नौ ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं। जिसमें सूर्य के लिए माणिक, चंद्रमा कि लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, गुरु के लिए पुखराज, बुध के लिए पन्ना, शनि के लिए नीलम, शुक्र के लिए हीरा, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनियां धारण किए जाते हैं। रत्न को सही से पहनने पर इसके लाभ चमत्कारिक होते हैं। जबकि रत्न धारण करने में असावधानी जीवन में अनेक परेशानियां लाती हैं। रत्न को सही तरीके से पहनना बेहद जरुरी होता है। इसके साथ ही रत्नों को उंगली की जगह शरीर के इन हिस्सों में पहनने से ज्यादा लाभ होता है।

रत्‍न पहनने से कुंडली का संबंधित ग्रह मजबूत होकर अच्‍छा फल देने लगता है। इसके पीछे पूरा एक विज्ञान है कि कैसे रत्‍न हमारे शरीर और मन पर असर डालते हैं। रत्‍न शास्‍त्र में हर ग्रह के लिए रत्‍न और उपरत्‍न बताए गए हैं। साथ ही में उनको पहनने के लिए जरूरी नियम भी बताए गए हैं। हालांकि सभी लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है और वे गलतियां कर बैठते हैं, इससे उन्‍हें रत्‍न पहनने का पूरा लाभ नहीं मिलता है।

रत्‍न से जुड़ी अहम बातों को जानना बहुत जरुरी होता है। विज्ञान के मुताबिक हमारा शरीर लगातार ऊर्जा ग्रहण करता है और उसका ह्रास भी करता रहता है। इसके लिए ऊर्जा ग्रहण करने की सबसे प्रभावशाली जगह हमारे माथे पर दोनों भौहों के बीच की जगह होती है। जबकि पैरों के अंगूठे से सबसे ज्‍यादा ऊर्जा का ह्रास होता है। रत्‍न से होने वाला सबसे ज्‍यादा तब मिलता है जब इसे माथे पर दोनों भौंहों के बीच ग्रहण किया जाए इसलिए राजा-महाराजा मुकुट में रत्‍न जड़वा कर पहनते थे। हालांकि आज के समय में इस तरह रत्‍न पहनना संभव नहीं है। वहीं रत्‍न पहनने के लिए शरीर की अन्‍य जगहों की बात करें तो गर्दन, हृदय के पास का स्‍थान, कलाई और उंगलियों में रत्‍न धारण कर सकते हैं। चूंकि हाथ की हर उंगली का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है इसलिए आमतौर पर रत्‍नों को उंगलियों में पहना जाता हैं।

रत्‍न धारण करते ही व्‍यक्ति इंतजार करने लगता है कि उसका असर कब दिखना शुरू होगा। रत्‍न शास्‍त्र के मुताबिक हर रत्‍न के असर दिखाने का समय अलग-अलग होता है। इनके धारण करने के समय की बात करें तो मोती 3 दिन में, माणिक्य 30 दिन, मूंगा 21 दिन, पन्ना 7 दिन, पुखराज 15 दिन, नीलम 2 दिन, हीरा 22 दिन, गोमेद 30 दिन, लहसुनिया 30 दिन में असर दिखाने लगता है। इस बात का खास ध्‍यान रखें कि महिलाओं को बाएं और पुरुषों को दाएं हाथ में रत्‍न धारण करना चाहिए।

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