त्यौहार के रूप में मनाया जाता है ये दिन, इस दिन से शुरू हुई थी देश की आज़ादी की लड़ाई….

9 अगस्‍त 1942 में ”भारत छोड़ो आन्दोलन” का आरम्भ किया गया। इस दिन की शुरुआत महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों को भारत से भागने के लिए की थी. यह एक ऐसा आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। इस आंदोलन के बाद रेलवे स्‍टेशनों, दूरभाष कार्यालयों, सरकारी भवनों और अन्‍य स्‍थानों तथा उप निवेश राज के संस्‍थानों पर बड़े स्‍तर पर हिंसा शुरू हो गई। इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया और कहा कि यह कांग्रेस की नीति का एक जानबूझ कर किया गया कृत्‍य है। यह आन्दोलन भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।

द्वितीय विश्‍व युद्ध समाप्‍त होने पर ब्रिटिश प्रधान मंत्री क्‍लेमेंट रिचर्ड एटली के नेतृत्‍व में लेबर पार्टी शासन में आई। लेबर पार्टी आजादी के लिए भारतीय नागरिकों के प्रति सहानुभूति की भावना रखती थी। मार्च 1946 में एक केबिनैट कमीशन भारत भेजा गया  जिसके बाद भारतीय राजनैतिक परिदृश्‍य का सावधानीपूर्वक अध्‍ययन किया गया। एक अंतरिम सरकार के निर्माण का प्रस्‍ताव दिया गया और एक प्रां‍तीय विधान द्वारा निर्वाचित सदस्‍यों और भारतीय राज्‍यों के मनोनीत व्‍यक्तियों को लेकर संघटक सभा का गठन किया गया।

 

Mumbai Rain: मुंबई के लिए बारिश बनी मुसीबत, आज भी बंद रहेंगे स्कूल और यातायात सेवायें

जबकि मुस्लिम लीग ने संघटक सभा के विचार विमर्श में शामिल होने से मना कर दिया और पाकिस्‍तान के लिए एक अलग राज्‍य बनाने में दबाव डाला। लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के वाइसराय ने भारत और पाकिस्‍तान के रूप में भारत के विभाजन की एक योजना प्रस्‍तुत की और तब भारतीय नेताओं के सामने इस विभाजन को स्‍वीकार करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं था, क्‍योंकि मुस्लिम लीग अपनी बात पर अड़ी हुई थी।

फ़रवरी 1947 में वावेल की जगह लॉर्ड माउंटबेटन को वायसराय नियुक्त किया गया। उन्होंने वार्ताओं के एक अंतिम दौर का आह्‌वान किया। जब सुलह के लिए उनका यह प्रयास भी विफ़ल हो गया तो उन्होंने ऐलान कर दिया कि ब्रिटिश भारत को स्वतंत्रता दे दी जाएगी लेकिन उसका विभाजन भी होगा। औपचारिक सत्ता हस्तांतरण के लिए 15 अगस्त का दिन नियत किया गया। उस दिन भारत के विभिन्न भागों में लोगों ने जमकर खुशियाँ मनायीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप(Donald Trump) ने ओहियो और टेक्सास हमले पर दी सफाई, कहा “इसमें अमेरिका का नहीं कोई हाथ”

दिल्ली में जब संविधान सभा के अध्यक्ष ने मोहनदास करमचंद गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि देते हुए संविधान सभा की बैठक शुरू की तो बहुत देर तक करतल ध्वनि होती रही। असेम्बली के बाहर भीड़ महात्मा गाँधी की जय के नारे लगा रही थी। इस प्रकार 14 अगस्‍त 1947 की मध्‍य रात्रि को भारत आजाद हुआ (तब से हर वर्ष भारत में 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है)।

 

जवाहर लाल नेहरू स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और 1964 तक उनका कार्यकाल जारी रहा। राष्‍ट्र की भावनाओं को स्‍वर देते हुए प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा- ”कई वर्ष पहले हमने नियति के साथ निश्चित किया और अब वह समय आ गया है जब हम अपनी शपथ दोबारा लेंगे, समग्रता से नहीं या पूर्ण रूप से नहीं बल्कि अत्‍यंत भरपूर रूप से। मध्‍य रात्रि के घंटे की चोट पर जब दुनिया सो रही होगी हिन्‍दुस्‍तान जीवन और आजादी के लिए जाग उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ ही आता है, जब हम अपने पुराने कवच से नए जगत में कदम रखेंगे, जब एक युग की समाप्ति होगी और जब राष्‍ट्र की आत्‍मा लंबे समय तक दमित रहने के बाद अपनी आवाज पा सकेगा। हम आज दुर्भाग्‍य का एक युग समाप्‍त कर रहे हैं और भारत अपनी दोबारा खोज आरंभ कर रहा है।”

1945 में जापान ने पराजय पाने के बाद नेता जी एक सुरक्षित स्‍थान पर आने के लिए हवाई जहाज से चले परन्‍तु एक दुर्घटनावश उनके हवाई जहाज के साथ एक हादसा हुआ और उनकी मृत्‍यु हो गई।

“”तुम मुझे खून दो और मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा”” – उनके द्वारा दिया गया सर्वाधिक लोकप्रिय नारा था, जिसमें उन्‍होंने भारत के लोगों को आजादी के इस संघर्ष में भाग लेने का आमंत्रण दिया।

आज भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्‍व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

 

LIVE TV