एक छोटे से मजाक ने बदल दी जिंदगी, बन गये दस हजार करोड़ की कंपनी के मालिक

अंबरीश मित्रा झारखंड के एक गरीब परिवार में पैदा हुए अंबरीश मित्रा पढ़ने में बिलकुल भी अच्छे नहीं थे। कई बार फेल होने के बाद किसी तरह उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद उनका मन कंप्यूटर में खूब लगता था।

उनके पिताजी ने उन पर पढ़ने का दबाव बनाया तो उन्होंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। 15 साल की उम्र में अंबरीश घर से भागकर दिल्ली आ गए। जेब में पैसे नहीं थे इसलिए अंबरीश एक झुग्गी बना कर रहने लगे और अखबार बेचना शुरू कर दिया।

हर दिन घंटों मेहनत करने के बाद भी अंबरीश को बस पेट पालने भर के पैसे ही मिलते थे। लेकिन इसी अखबार ने उनकी जिंदगी बदल दी| अखबार बेचते-बेचते उनकी नजर एक विज्ञापन पर पड़ी जिसमें बिजनेस का आइडिया मांगा गया था। इस विज्ञापन में सबसे अच्छा आइडिया देने वाले को 5 लाख रुपये का इनाम देने की बात कही गई थी। अंबरीश ने अपना आइडिया दिया और वो 5 लाख रुपये का इनाम उनकी झोली में आ गिरा।

अंबरीश को तो बस इसी बात का इन्तजार था। इस पैसे को ज़ाया न करते हुए उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू किया। उन्होंने वुमेन इन्फोलाइन नाम की एक छोटी कंपनी शुरू की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा| शुरुआत में ही उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ा। अमरीश ने कंपनी बेच दी और लंदन चले गए।

एक दिन अंबरीश ने अपने दोस्त के सामने 15 डॉलर रख कर मजाक में कहा कि कितना अच्छा होता अगर इस डॉलर में से महारानी एलिजाबेथ निकल कर बाहर आ जातीं। उनके दोस्त ने अंबरीश की फोटो लेकर महारानी एलिजाबेथ की फोटो पर सुपरइंपोज कर दिया। इसी मजाक के दौरान उन्हें एक ऐप बनाने का आइडिया सूझा।

उन्होंने 2011 में ब्लिपर नाम की एक कंपनी बनाई जो मोबाइल फोन के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी एप बनाती है। इस कंपनी ने सॉफ्टवेयर की दुनिया में धमाल ही मचा दिया और जगुआर, यूनिलीवर, नेस्ले जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ टाइ-अप किया। आज ये कंपनी सलाना 10 हजार करोड़ कमाती है।

मजबूत इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने की ललक हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। अगर इंसान के पास जज्बा हो तो उसकी आर्थिक स्थिति भी उसके कदम नहीं रोक सकती।

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