दलित बवंडर में खूनी सैलाब, पीएम मोदी से मांग रहे ‘बहाली का इंसाफ’

लखनऊ। एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव को लेकर जो बवाल शुरू हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा। भारत बंद के नाम पर हिंसा पैदा हुई। कितने लोगों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। वहीं मामले को लेकर राजनीतिकरण भी शुरू हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष में दंगल हुआ, जो अभी जारी है। दोनों ही एक दूसरे पर वार का कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ना चाहते। ऐसे में नया ये रहा कि दलित संगठन के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खून से पत्र लिखकर अध्यादेश द्वारा कानून बनाने और ऐक्ट को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

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एससी/एसटी ऐक्ट

इससे पहले देश भर के दलित संगठनों ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद का आवाहन किया था। इसके चलते देश के अलग-अलग कोनों में भड़की हिंसा में 12 लोगों की मौत हो गई थी।

खबरों के मुताबिक़ मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले का है। यहां भारतीय दलित पैंथर पार्टी के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खून से पत्र लिखा है।

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पत्र में उन्होंने लिखा, ‘महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जी भारत सरकार एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को संसद में अध्यादेश द्वारा कानून बनाकर फिर से पहले की स्थिति में उक्त अधिनियम को बहाल किया जाए।’

इस मांग के साथ भारतीय दलित पैंथर पार्टी के सदस्यों ने हिंसा में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि भी दी।

ध्यान रहे, मामले में केंद्र सरकार ने एससी-एसटी ऐक्ट से जुड़े फैसले की पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए अपने फैसले पर स्टे देने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को इस मसले पर तीन दिन के भीतर जवाब देने का आदेश देते हुए 10 दिन बाद अगली सुनवाई की बात कही है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था।

इसके अलावा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए। यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती। गैर-सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी।

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