अब पानी की ‘बर्बादी की फीस’ चुकाएगी जनता, मोदी सरकार कर रही तैयारी

नई दिल्ली। टैक्स के मामले में केंद्र की मोदी सरकार अपने और विरोधी निशाने पर है। लेकिन शुल्क के नाम पर सरकार वसूली जारी रखेगी। अब जल्द ही एक नई फीस लोगों से वसूलने की तैयारी में है। सरकार भूजल के अंधाधुंध दोहन से चिंतित है। इस पर सरकार एक नया प्रस्ताव तैयार कर रही है। इसके तहत सरकार जमीन के नीचे से निकलने वाले पानी को ‘महंगा’ करने जा रही है।

जमीन के नीचे

सरकार जमीन के नीचे से निकाले जाने वाले पानी की अंधाधुंध बर्बादी से चिंतित है। इसके तहत बोरवैल के ज़रिए ज़मीन के नीचे का जितना पानी इस्तेमाल होगा उसके हिसाब से ही जलसंरक्षण फीस ली जाएगी। मोदी सरकार इस संबंध में देश के कई इलाकों में पैदा हुई भयावाह स्थिति के कारण पूरा मसौदा तैयार कर रही है।

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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस प्रस्ताव के तहत व्यक्ति विशेष, आवासीय सोसायटियों, टाउनशिप्स, अपार्टमेंट्स, औद्योगिक इकाईयों, क्लबों आदि सभी से जल संरक्षण फीस भी वसूली जाएगी। यह फीस उनके पानी के बिल में जुड़कर आएगी। केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव तैयार कर रहा है। तैयार किए जा रहे मसौदे में पेनाल्टी फीस का बंदोबस्त है।

इसके साथ ही औद्योगिक और खनन इकाइयों सहित मूलभूत ढांचे से संबंधित निजी परियोजनाओं के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि बोरवैल खोदने से पहले सक्षम अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लें। एनओसी की अनिवार्यता से सिर्फ किसानों को छूट हासिल होगी।

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केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक, देश में ज़मीन के नीचे के पानी का दोहन बेतहाशा हो रहा है। इससे इसकी स्थिति भी लगातार चिंताजनक होती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि देश के 6,607 विकासखंड, मंडल, तालुका और जिलों में से 1,071 में ज़रूरत से बेहद ज़्यादा ज़मीन के नीचे के पानी का दोहन हो रहा है।

इनमें से 217 इलाके तो अतिगंभीर और 697 जगहें गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं। इसीलिए इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए देशव्यापी स्तर पर एक समान दिशा निर्देशों आदि की ज़रूरत महसूस की गई है।

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