Movie Review : जूडी डेंच की एक्‍टिंग के आगे कायम रहा अली फजल का दबदबा

विक्‍टोरिया एंड अब्‍दुलफिल्म–  विक्‍टोरिया एंड अब्‍दुल

रेटिंग– 3

सर्टिफिकेट– U/A

अवधि–   1 घंटा 52 मिनट

स्टार कास्ट– जूडी डेंच, अली फज़ल, एडी इज़र्ड, अदील अख्तर, पॉल हिगिन्स, ओलिविया विलियम्स

डायरेक्टर–  स्टीफन फ्रीअर्स

प्रोड्यूसर– बीबीसी पिक्‍चर्स, परफेक्‍ट वर्ल्‍ड, परफेक्‍ट वर्ल्‍ड पिक्‍सर्च

म्‍यूजिक– थॉमस न्‍यूमैन

कहानी–  फिल्‍म की कहानी देश की आजादी से पहले के दौर को दर्शाती है। फिल्म में इंग्‍लैड की क्वीन विक्‍टोरिया और उनके इंडियन सर्वेंट अब्‍दुल के इर्द गिर्द घूमती है। महानरानी और उनके सेवक की दोस्‍ती और दिलके रिश्‍ते को दिखाया गया है। महारानी अपनी रोजाना की जिंदगी और जिम्‍मेदारियों में व्‍यस्‍त रहती है। अपनी स्‍वर्ण जयंती वर्ष (1887) पर वह लोगों से मिलती-जुलती हैं। इस राजशाही जलसे के दौरान उनकी की नजर सेवक अब्दुल पर पड़ती है।

कम उम्र का अब्‍दुल स्‍वाथाव से काफी चुलबुला है। वह प्रोटोकॉल को नहीं मानता है। उससे कहा जाता है कि महारानी के सामने उनसे नजर नहीं मिलानी होगी लेकिन फिर भी वह महारानी की ओर देखकर मंद मुस्‍कान देता है।

उसकी मंद मुस्‍कान पर महारानी भी मुस्‍कुरा देती हैं। यहीं एक अजीब और काफी अलग रिश्‍ते की शुरूआत होती है। बढ़ते हुए वक्‍त के साथ वह महारानी के काफी करीब इआ जाता है। वह महारानी का सेवक से दोस्‍त और विश्‍वासपात्र बन जाता है।

महारानी विक्‍टोरिया और अब्‍दुल की ये दोस्‍ती राजमहल के सभी लोगों की नजर में खटकने लगती है। राजघराने के लोग महारानी से अब्‍दुल को निश्‍कासित करने की मांग करना शुरू कर देते हैं। ट्विस्‍ट एंड टर्न से होती हुई कहानी अपने अंजाम तक पहुंती है।

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एक्टिंग– सभी किरदरों ने अपने भरसक अच्‍छी परफॉर्मेंस दी है। जूडी डेंच की उम्‍दा एक्‍टिंग दर्शकों को फिल्म से बांधे रखने का पूरा काम करती है। जूडी ने अपने किरदार में पूरी जान झोंक दी है। किसी भी मोके पर उनका किरदार डगमगाता नहीं है। जूड़ी के अलावा अली फज़ल की एक्‍टिंग भी बहुत अच्‍छी है। अली ने इस मौका का बखूबी फायदा उठाया है। जूडी के अपोजिट होने बावजूद उनका किरदार बराबरी का है। उन्‍होंने अपने किरदार को पर्दे पर बखूबी दर्शाया है।

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डायरेक्शन– फिल्म का डायरेक्‍शन अच्‍छा है। लोकेशन और कैमेरा एंगल अच्‍छी है। पुराने दौर और उनके किरदारों को पर्दे पर बखूबी दर्शाया गया है। हालांकि फिल्म की कहानी दर्शकों को बांधे रखने में नाकामयाब साबित होती है। फिलम की कहानी कई जगह भटकती हुई नजर आती है। कहानी में सुधार लाया जा सकता था

देखें या नहीं– विक्‍टोरिया और अब्‍दुल की कहानी को जानने के लिए फिल्‍म देखने सिनेमाघर जा सकते हैं।

 

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