वाराणसी हादसा: सेतु निगम के खिलाफ केस दर्ज, लाशों का सौदा करने वाले भी नपे

वाराणसी। वाराणसी में मंगलवार शाम हादसे के बाद  से सरकारी महकमों में गहमागहमी का माहौल है। हादसे के बाद से ही कई लोगों को निलंबित किया जा चुका है। पूरे हादसे का जिम्मेदार कौन है ये तो जांच के बाद ही साफ हो पायेगा। लेकिन उन मासूमों का क्या जिन्होंने इसमें अपनी जिंदगी खो दी उनका क्या कसूर था? पूरे मामले में अब यूपी सरकार ने सख्त एक्शन लिया है। सेतु निगम और निर्माणदायी संस्था के खिलाफ सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमे में गैर इरादतन हत्या, हत्या के प्रयास, लोक संपत्ति और संपत्ति की क्षति की धाराएं भी लगाई गईं हैं।

वाराणसी हादसा

दरअसल गत 19 फरवरी को ही यूपी सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक के खिलाफ सिगरा थाने में लापरवाही बरतने के लिए FIR दर्ज हो चुकी थी, जिसमें काम में लापरवाही, अराजकतापूर्वक कार्य करने, ट्रैफिक वालंटियर्स की तैनाती नहीं करने का आरोप लगाया गया था। अगर उस समय ही अफसरों ने इसका संज्ञान लिया होता तो यह हादसा नहीं होता।

पूरे मामले पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए घटना को दुखद बताया। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया मामले में सेतु निगम के चीफ़ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर राजेन्द्र सिंह और के आर सूडान को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही एक अन्य कर्मचारी लालचंद को भी सस्पेंड किया गया है।

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इस बीच हादसे के कुछ घंटे बाद अस्पताल में भ्रष्टाचार में डूबे सिस्टम का वीभत्स चेहरा देखने को मिला, जहां एक सफाई कर्मचारी हादसे में मारे गए लोगों का शव देने के बदले परिजनों से 200 रुपए मांगता दिखा। मामले में वीडियो वायरल हुआ तो डीएम ने कार्रवाई कर आरोपी को सस्पेंड कर दिया।

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गौरतलब है कि मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे के करीब निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा कैंट रेलवे स्टेशन के सामने गिर गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मामले में यूपी सेतु निगम के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर समेत चार अधिकारी निलंबित कर दिए गए थे।

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