भाजपा सरकार ने उत्पल कुमार को नियुक्त किया उत्तराखंड का मुख्य सचिव
उत्तराखंड। भाजपा सरकार ने कार्यों में तेजी के उद्देश्य से नए मुख्य सचिव का चयन किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार बनने के बाद से ही मुख्य सचिव के तौर पर उत्पल कुमार के नाम पर कयास लगाये जा रहे थे, अन्तः वही हुआ है।
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बता दें उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव के रूप में उत्पल कुमार सिंह कल बुधवार को सुबह 11:30 बजे कार्यभार ग्रहण करेंगे। 1986 बैच के आईएएस अफसर उत्पल की प्रतिनियुक्त ख़त्म करते हुए dopt ने उन्हें उनके मूल कैडर उत्तराखंड वापस भेजने के आदेश जारी कर दिए हैं।
दरअसल इस समय त्रिवेंद्र सरकार को एक ऐसे अफ़सर की ज़रूरत है जो तेज़ नतीजे देने में सक्षम हो। इसमें उत्पल कुमार माहिर भी हैं।
त्रिवेंद्र सरकार को 2019 से पहले कुछ ऐसा करके दिखाना है जिससे लोगों को लगे कि यह डबल इंजन की सरकार है।
अगर बीते 6 महीने के बारे में बात की जाये तो राज्य की दर्जनों परियोजनाओं की गति एकदम सुस्त देखी जा रही है। इनमें रेल, सड़क, ऊर्जा, हवाई यातायात, वन के प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
सबसे अहम एनएच 58 का काम है। इस मामले में धीमी रफ्तार सरकार के लिए निंदा का सबब बना हुआ है।
बता दें कि हरिद्वार, मुजफ्फनगर और देहरादून को जोड़ने वाली यह सड़क फोर लेन बनाई जानी है। 2011 से इस पर काम चल रहा है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
रुकी पड़ी प्रमुख परियोजनाएं…
आल वेदर रोड- लगभग 1200 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर सरकार की सफलता टिकी हुई है क्योंकि मोदी सरकार के एजेंडे में ये सड़क शामिल है। इसके निर्माण का काम जल्द शुरू होना है। इसीलिए सरकार ने एक ऐसे अफ़सर पर भरोसा जताया है जो इसे तेजी से पूरा कर सके।
हवाई यातायात- सरकार बनाने के तुरंत बाद ही यह घोषणा की गई थी कि सभी हवाई पट्टियों को सुचारू किया जाएगा।
इसमें पिथौरागढ़ की नैनी सैनी, उत्तरकाशी की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी अहम हैं। दोनों ही हवाई पट्टियां से अभी तक उड़ानें शुरू नहीं हो सकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि उत्पल कुमार के आने से इसमें भी तेजी आएगी।
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जल विद्युत परियोजना- 2013 की आपदा के बाद उत्तराखंड की जल विद्युत परियोजनाओं पर बहुत बुरा असर पड़ा है, लगभग सभी परियोजनाएं रोके दी गईं।
NH74 का चौड़ीकरण- घोटाले की सड़क कही जाने वाली इस सड़क को भी 4 लेन होना है लेकिन इसमें भी काम बेहद सुस्त चल रहा है।
इसके अलावा ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण में तेजी और इसे चारधाम तक पहुंचना की चुनौती भी बड़ी है।
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