यूपीकोका बिल विधानसभा में ‘घमासान’ के बाद पेश, जानें क्यों हो रहा विरोध

लखनऊ। योगी सरकार ने विधानसभा में आज एक बार फिर से यूपी कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम ऐक्ट (यूपीकोका) बिल पेश किया है। इससे पहले 21 दिसंबर को बिल विधानसभा में रखा गया था और इसे मंजूरी मिल गई थी लेकिन विधानपरिषद में बिल पास नहीं हो पाया था। अब फिर से इसे विधानसभा में पेश किया गया है।

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने यूपीकोका को जनता के लिए अभिशाप बताया तो वहीँ मायावती ने कहा कि सरकार यूपीकोका को दलित और पिछड़े वर्ग के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती है।

यूपीकोका

बता दें कि इस विधेयक को विधानमण्डल के निचले सदन में पिछली 21 दिसम्बर को पारित किया जा चुका था। इसके बाद यूपीकोका बिल को विधान परिषद में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। वहां से लौटाने के बाद गत 13 मार्च को सरकार द्वारा इस पर विचार का प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण गिर गया था। लिहाजा अब प्रक्रिया के तहत इसे फिर से विधानसभा में पेश किया जाना है।

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जानें क्या है यूपीकोका…

राज्य में गुंडागर्दी ख़त्म करने लिए इतना सख्त कानून बनाने वाला यूपी, देश का दूसरा राज्य है। इसके पहले महाराष्ट्र में अपराधियों पर नकेल कसने के लिए “मकोका” बनाया जा चुका है। ख़ास बात ये है कि इस कानून के तहत आने वाले अपराधियों को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। यूपीकोका के तहत अपराधी को कम से कम 7 साल की सजा 15 लाख का जुर्माना और अधिक से अधिक 25 लाख रूपए का जुर्माना या फांसी की सजा का भी प्रावधान बनाया गया है।

कार्रवाई के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण में जा सकेंगे…

यूपी कोका के तहत उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण का गठन होगा। अगर किसी को गलत फंसाया गया तो वह कार्रवाई के खिलाफ प्राधिकरण में अपील कर सकेगा। पर, आरोपी को खुद अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।

यूपीकोका में ये अपराध हैं शामिल…

उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (UPCOCA) के तहत अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन मकान और जमीन पर कब्जा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी, तस्करी, अवैध शराब कारोबार, बाहुबल से ठेके हथियाने, अवैध खनन, वन उपज के गैरकानूनी ढंग से दोहन, वन्यजीवों की तस्करी, नकली दवाओं के निर्माण या बिक्री, सरकारी व गैरसरकारी संपत्ति को कब्जाने और रंगदारी या गुंडा टैक्स वसूलने जैसे संगीन अपराध शामिल किए गए हैं।

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यूपीकोका की कुछ और ख़ास बातें…

इस कानून के तहत केस तभी दर्ज होगा जब आरोपी कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो और उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई हो।

किसी भी तरह का संगठित अपराध करने वाला व्यक्ति इस कानून की जद में आएगा।

इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी।

यूपीकोका में गिरफ्तार अपराधी के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल करने के लिये 180 दिन का समय मिलेगा। अभी तक के कानूनों में 60 से 90 दिन ही मिलते हैं।

यूपीकोका के तहत पुलिस आरोपी की रिमांड 30 दिन के लिए ले सकती है, जबकि बाकी कानूनों में 15 दिन की रिमांड ही मिलती है।

इस कानून के तहत कम से कम अपराधी को सात साल की सजा मिल सकती है। अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान होगा।

राज्य स्तर पर ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग गृह सचिव करेंगे।

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मंडल के स्तर पर आईजी रैंक के अधिकारी की संस्तुति के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा।

जिला स्तर पर यदि कोई संगठित अपराध करने वाला है, तो उसकी रिपोर्ट कमिश्नर, डीएम देंगे।

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