छात्रों पर मुकदमा दर्ज करवाना बना सांसद के गले की फांस! कब मिलेगा छुटकारा

बांदा। संसद में सर्वाधिक सवाल पूछने और सबसे ज्यादा हाजिरी पर राष्ट्रपति के हाथों ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ का खिताब पाने वाले उत्तर प्रदेश के बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा के लिए 12 ‘सवर्ण’ छात्रों के खिलाफ दर्ज कराया गया मुकदमा गले की हड्डी बनता जा रहा है।

 भैरों प्रसाद मिश्रा

अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) में हाल ही में मोदी सरकार द्वारा किए गए नए संशोधन के विरोध में भारतबंद के बाद सवर्ण समर्थक करणी सेना और सवर्ण एकता मंच की अगुआई में 12 सितंबर को अपनी पूर्व घोषणानुसार सवर्ण छात्रों ने अन्य जगहों की भांति यहां भी भाजपा और सपा के सांसदों के आवासों का घेराव कर ‘सांसद तुम एक काम करो, चूड़ी पहनो और मांग भरो’ के नारे साथ अपना विरोध प्रदर्शन किया था।

हालांकि छात्रों का प्रदर्शन उग्र न हो, इसके लिए दोनों सांसदों के आवासों की सुरक्षा व्यवस्था पुलिस ने पहले से ही पुख्ता कर दी थी।

एक पुलिस अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि भाजपा सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा के इंदिरा नगर स्थिति निजी आवास में 12 सितंबर को सुरक्षा की ²ष्टि से करीब आधा सैकड़ा पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, उस समय सांसद अपने घर में मौजूद नहीं थे।

करीब दो दर्जन सवर्ण छात्र नारेबाजी करते हुए सांसद के आवास पहुंचे और दरवाजे पर ही चूड़ी, बिंदी व साड़ी रखकर लौट गए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस की सख्ती के चलते जब कोई सांसद के आवास के अंदर ही नहीं जा पाया तो तोड़फोड़ किए जाने का सवाल ही नहीं उठता।

यह पूछे जाने पर कि पुलिस ने घेराव के पांच दिन बाद प्राथमिकी क्यों दर्ज की? इस पर उन्होंने कहा कि सांसद ने कोतवाली में धरने देने की धमकी दी थी, दबाव में आकर पुलिस ने 17 सितंबर को आईपीसी की धारा-147, 452, 352 व 427 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

भाजपा जिलाध्यक्ष लवलेश ने शनिवार को कहा था, “सवर्ण छात्रों के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे के संदर्भ में हमारे लोग सांसद से बातचीत कर रहे हैं, बहुत जल्दी ही इसका पटाक्षेप हो जाएगा।”

उन्होंने कहा कि 12 सितंबर के इस कथित आंदोलन में सपा समर्थक सवर्ण छात्रों ने राजनीतिक साजिश के तहत हरकत की है।

उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष शमीम बांदवी ने कहा कि मुकदमा दर्ज करवा कर सांसद ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है, मुकदमा वापसी के साथ ही अगर छात्रों से माफी नहीं मांगी गई तो सपा आर-पार की लड़ाई लड़ेगी। छात्र-नौजवान चाहे जिस किसी दल से जुड़े हों, सपा उनकी अगुआई करेगी।

इस बीच, बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने जारी अपने बयान में कहा, “सांसद ने निर्दोष छात्रों के खिलाफ पांच दिन बाद दबाव बनाकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है, ये अगर 48 घंटे में वापस नहीं लिया गया तो अब बुंदेलखंड के किसान सांसद भैरों प्रसाद को जिले में नहीं घुसने देंगे।”

बुंदेलखंड आजाद सेना के प्रमुख प्रमोद आजाद ने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देने वाली भाजपा और उसके प्रतिनिधि दोमुंहा सांप से कम नहीं हैं। अगर छात्रों ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सांसद के घर तोड़फोड़ या गुंड़ागर्दी की है तो सबसे पहले पुलिसकर्मियों का निलंबन होना चाहिए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सांसद ने पांच दिन बाद प्राथमिकी क्यों दर्ज कराई?

उन्होंने कहा कि अब तो छात्रों के साथ मिलकर सांसद के हर गलत कदम का विरोध किया जाएगा।

शुक्रवार तक छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस न लेने की जिद पर अड़े सांसद ने शनिवार को फोन पर कहा, “यह मुकदमा मेरे लिए गले की हड्ड़ी बन गया है, मैं अभी बांदा नहीं पहुंचा। वहां पहुंचकर पुलिस अधीक्षक से वार्ता करने के बाद हल निकाल लिया जाएगा। मुझे हर वर्ग का समर्थन प्राप्त है, मैं किसी के साथ नाइंसाफी नहीं चाहता।”

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कुल मिलाकर सांसद द्वारा दर्ज कराए गए इस मुकदमे ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है और उनके लिए ही मुसीबत बनता जा रहा है। अगर जल्दी इस मामले का पटाक्षेप नहीं हुआ तो उच्च वर्ग के लोग भाजपा सांसद के विरोध का ताना-बाना बुन रहे हैं।

सांसद भैरों प्रसाद हालांकि शुक्रवार को जबलपुर में रेलवे की बैठक में थे और उन्होंने फोन पर कहा था कि छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमा हरगिज वापस नहीं लिया जाएगा, लेकिन अब वह खुद इसे अपने गले की हड्डी मान रहे हैं और कोई हल निकालने की बात कह रहे हैं।

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अब देखना यह होगा कि सांसद गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं या स्तंभ की भांति कायम रहते हैं।

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