उपचुनाव : 2019 के ट्रेलर से खौफ में बीजेपी, फूलपुर हार के बाद गोरखपुर की बारी
नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश और बिहार में तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे अब सामने हैं। उत्तर प्रदेश के फूलपुर में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने बीजेपी को हराया दिया है। फूलपुर में सपा प्रत्याशी नागेंद्र पटेल ने बीजेपी के कौशलेंद्र पटेल को 59613 वोटों से हराया।
फूलपुर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की सीट थी। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट गोरखपुर पर भी बीजेपी पिछड़ रही है. तो वहीं बिहार के अररिया में भी राजद उम्मीदवार ने बीजेपी के प्रदीप सिंह को पछाड़ दिया है। बिहार के जहानाबाद विधानसभा सीट पर भी राजद ने जीत दर्ज कर ली है। BJP ने बिहार की भभुआ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर ली है।
यूपी की सीटें
गोरखपुर- 20वें राउंड तक सपा को 28000 वोटों से बढ़त
फूलपुर- 22वें राउंड तक सपा प्रत्याशी 30805 वोटों से आगे
बिहार की सीटें
अररिया (लोकसभा)- अररिया सीट पर बीजेपी को 4000 वोटों से बढ़त
भभुआ (विधानसभा)- भभुआ में बीजेपी 2225 वोट से आगे
जहानाबाद (विधानसभा)- जहानाबाद में RJD के सुदय यादव 1341 वोट से आगे
गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव-2017 में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को यूपी के सीएम का पद सौंपा गया तो वहीँ फूलपुर लोकसभा सीट पर विजयी हुए केशव प्रसाद मौर्य को यूपी का उपमुख्यमंत्री बनाया गया। जिसके बाद से ये दोनों ही सीटें खाली थीं जिसपर 11 मार्च को उपचुनाव हुए हैं। उपचुनाव में गोरखपुर में 47.45 फीसदी और फूलपुर में 37.40 फीसदी मतदान हुए हैं। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत कम रहा।
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बता दें कि गोरखपुर लोकसभा की सीट से 1952 में पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ 1967 निर्दलीय चुनाव जीता। फिर 1970 में योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ ने निर्दलीय जीत दर्ज की। 1971 से 1989 के बीच एक बार भारतीय लोकदल तो कांग्रेस का इस सीट पर कब्ज़ा रहा।
लेकिन 1989 के बाद से सीट पर गोरक्षपीठ का कब्ज़ा रहा। महंत अवैद्यनाथ 1998 तक सांसद रहे। उनके बाद 1998 से लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ का कब्ज़ा रहा।
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लोकसभा उपचुनाव में वर्चस्व की लड़ाई जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हर मुमकिन कोशिश की है। तो वहीँ विपक्षियों ने भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए एकजुटता का फार्मूला अपनाया है।
सपा-बसपा इस उपचुनाव में गठबंधन के साथ भाजपा का सामना कर रहे हैं तो वहीँ कोंग्रेस ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।