प्राकृतिक स्थलों के साथ ऐतिहासिक इमारत का दीदार करना है तो आएं यहां

भारत में ऐसे असंख्य ऐतिहासिक स्थान है जिनके बारे में शायद ही किसी को पता हो। ऐसे ही ऐतिहासिक स्थान में शुमार है नुजरात का यह नगीना जिसे जूनागढ़ के नाम से जाना जाता है। इसके बिना गुजरात का इतिहास अधूरा स है। इस गढ़ से यहां की वास्तुकला, जीवनशैली भली भांति दिखाई देती है। यहां आकर आपको लगेगा कि मानो आपका पुराने भारत से मिलन हो गया है। आइये जानते हैं इस गढ़ की और क्या विशेषता है।

ऐतिहासिक

अपरकोट का किला

इतिहास के जुड़े पन्ने बताते हैं कि यह किले का निर्माण 316 ईसा पूर्व में हुआ था। ऐतिहासिक और वन विहार घूमने के बाद आप यहां के अपरकोट को बी घूमने का प्लान बने सकते हैं। इस किले का निर्माण राजा चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा किया गया था। इस किले में प्रवेश ट्रिपल गेटवे को पार कर किया जाता है,जो 70 फीट ऊंची दीवार से जुड़ा है। इस किले में गुफा, बावड़ी, मकबरा और मस्जिद भी हैं। यह किला यहां का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

महाबत मकबरा

यह जूनागढ़ का सबसे प्रसिद्ध मकबरा है। आप इस ऐतिहासिक स्थल को बी घूमने का प्लान बना सकते हैं। इस मकबरे का निर्माण यहां के नवाबों को शासनकाल में कराया गया था। इंडो-इस्लामिक शैली में इस मकबरे को 1982 में बनवाया गया था। गुजरात के नवाबी यादे इस स्थान से जुड़ी हुई हैं।

गिरनार की पहाड़ी

राज्य की राजधानी से जूनागढ़ की दूरी महज 341 किमी है। जूनागढ़ भ्रमण की शुरूआत आप यहां की खूबसूरत गिरनार की पहाड़ी से कर सकते हैं। यहां की गिरनार पहाड़ी में पांच चोटियां हैं जिनमें से गोरखनाथ सबसे ऊंची 3,661 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इस पहाड़ी स्थल पर कई जैन और हिन्दू मंदिर मौजूद हैं जो 12शताब्दी के बाद के बताए जाते हैं। इस सबके साथ यहां पर नवंबर-दिसंबर में कार्तिक पुर्णिमा के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। जिस मेले को दिखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

गिर वन

इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल किसी जन्नत से कम नहीं है। जूनागढ़ के इस अभयारण्य की दूरी महज 65 किमी है। 1412 वर्ग किमी में फैला हुआ यह अभयारण्य एशियाई शेरों के खासा जाना जाता है। इस अभयारण्य को 1965 में स्थापित किया गया था। शेर के अलावा आप यहां चीता, नीलगाय, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, कोबरा आदि को देख सकते हैं। खूबसूरत वनस्पतियों के देखने के लिए यह एक आदर्श जगह है।

दामोदर कुंड

दोमोदर कुंड धर्मिक महत्व से काफी जाना जाता है। यहां के ऐतिहासिक स्थल की सैर करने के बाद आप यहां के दामोदर कुंड की सैर का प्लान भी बना सकते हैं। गिरनार पहाड़ी की तलहटी में बसा यह एक दुर्लभग जलाशय है। इस कुंड की यहां पर धार्मिक हिलाज से बहुत महत्ता है। इस कुंड के पास एक जैन का मंदिर है। माना जाता है कि यह कुंड भगवान शिव, माता पार्वती से जुड़ा है, इसलिए यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। जूनागढ़ भ्रमण के दौरान आप इस खास स्थल की सैर कर सकते हैं।

 

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