पीलीभीत में बाघ का आतंक: 2 घंटे में 3 हमले, एक की मौत, इतने घायल, वन विभाग की नाकामी पर ग्रामीणों का गुस्सा

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के न्यूरिया थाना क्षेत्र में बाघों के हमलों ने दहशत मचा दी है। सुबह 2 घंटे के भीतर मंडरिया, सहजनिया, और अनवरगंज गांवों में बाघों ने तीन लोगों पर हमला किया।

मंडरिया गांव की 50 वर्षीय तृष्णा की बाघ के हमले में मौत हो गई, जबकि 17 वर्षीय किशोर नीलेश और सहजनिया गांव की 50 वर्षीय मीना गंभीर रूप से घायल हो गए। इन घटनाओं ने इलाके में डर का माहौल पैदा कर दिया है, और ग्रामीणों में वन विभाग की कार्यशैली के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है।

घटना

  1. तृष्णा की मौत (मंडरिया गांव): 17 जुलाई को सुबह करीब 6:30 बजे तृष्णा खेत पर काम करने गई थीं। गन्ने के खेत में छिपे बाघ ने उन पर हमला कर उन्हें दबोच लिया और शव को खेत में छोड़कर भाग गया। तृष्णा का शव खून से लथपथ बरामद हुआ।
  2. नीलेश पर हमला (मंडरिया गांव): तृष्णा पर हमले से 15 मिनट पहले, सुबह 6:15 बजे, उसी गांव के 17 वर्षीय नीलेश पर बाघ ने हमला किया। नीलेश ने करीब 10 मिनट तक बाघ से संघर्ष किया और ग्रामीणों के शोर मचाने पर बाघ उसे छोड़कर भाग गया। नीलेश को गंभीर चोटें आईं, और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
  3. मीना पर हमला (सहजनिया गांव): सुबह 6:00 बजे सहजनिया गांव में मीना (50) खेत की ओर जा रही थीं, तभी बाघ ने उन पर हमला किया और उन्हें 20 मीटर तक घसीटा। ग्रामीणों के शोर मचाने पर बाघ भाग गया। मीना की पीठ पर गहरे घाव हैं, और उनका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।

ग्रामीणों का आक्रोश और वन विभाग की नाकामी
इन हमलों के बाद मंडरिया गांव में ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया, आरोप लगाया कि विभाग की लापरवाही से बाघों का आतंक बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने सहजनिया और अनवरगंज में बाघों की चहलकदमी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसमें सड़कों और खेतों में बाघ दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो बाघ क्षेत्र में सक्रिय हैं, और वन विभाग की निगरानी अप्रभावी है।

14 जुलाई को फुलहर गांव में दयाराम की बाघ के हमले में मौत के बाद वन विभाग ने दो हाथियों, थर्मल ड्रोन, और जाल का उपयोग शुरू किया था। मंगलवार को बाघ ने वन विभाग की टीम पर भी झपटने की कोशिश की, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। बुधवार को पूरे दिन निगरानी के बावजूद बाघ पकड़ से बाहर रहा, और 17 जुलाई को फिर से हमले हुए। ग्रामीणों ने मांग की है कि बाघों को तुरंत पकड़ा जाए और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पीलीभीत के डीएम ज्ञानेंद्र सिंह और एसपी अभिषेक यादव फोर्स के साथ मंडरिया गांव पहुंचे। वन विभाग की माला रेंज की टीम, डिप्टी रेंजर शेर सिंह के नेतृत्व में, बाघों की तलाश में जुटी है। डीएफओ भरत कुमार डीके ने बताया कि थर्मल ड्रोन, पिंजरे, और 24 घंटे निगरानी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। तृष्णा के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया, और घायलों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है।

क्षेत्र में बाघों का आतंक
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के आसपास के 280 गांवों में बाघों का खतरा बढ़ गया है। जून-जुलाई 2025 में बाघों के हमलों में 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 14 जुलाई को दयाराम (फुलहर गांव) और 9 जून को मुकेश कुमार (मेवातपुर बनकटी) की मौत शामिल है। पिछले 10 वर्षों में पीलीभीत में मानव-वन्यजीव संघर्ष में 49 लोगों की जान जा चुकी है। वन विभाग ने ग्रामीणों को सलाह दी है कि वे समूह में खेत जाएं, डंडा रखें, और शाम के बाद बाहर न निकलें।

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