…तो शेखों के देश में मंदिर बनने की ये है बड़ी वजह! भव्यता होगी ऐसी कि देखते रह जाएं

नई दिल्ली। तीन देशों की यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्डन, फलस्‍तीन के बाद संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे। यहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। यह दौरा ख़ास तो था ही, लेकिन अहम यूं बन गया क्योंकि यहां उनके स्वागत के साथ हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया गया। उन्होंने मंदिर शिलान्यास में भाग लेते हुए भूमी पूजन भी किया। बता दें पिछली बार जब यहां पीएम मोदी पहुंचे थे तो यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए 55 हजार वर्ग मीटर जमीन देने का ऐलान किया था।

यूएई में मंदिर शिलान्यास के साक्षी बने पीएम मोदी

संयुक्‍त अरब अमीरात

अब यह चर्चा तो पीएम मोदी के यूएई पहुंचने पर ही शुरू हो गई थी कि आज यानी रविवार को उनके द्वारा यहां पहले हिंदू मंदिर का शिलन्यास होना है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर शेखों के इस देश में हिंदू मंदिर की क्या जरूरत है? मंदिर निर्माण के पीछे वजह और मंतव्य क्या है।

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बता दें अबू धाबी में तकरीबन 30 लाख भारतीय रहते हैं। ये वहां की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत हिस्‍सा है। वहां की अर्थव्‍यवस्‍था को संवारने में इस आबादी का बड़ा योगदान है।

साधन-संपन्‍न इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद राजधानी अबू धाबी में कोई हिंदू मंदिर अभी तक नहीं है। इसकी तुलना में दुबई में दो मंदिर और एक गुरुद्वारा हैं।

इसलिए अबू धाबी के स्‍थानीय हिंदुओं को पूजा या शादी जैसे समारोहों के लिए दुबई जाना पड़ता है। इस‍के लिए तकरीबन तीन घंटे लंबी यात्रा उनको तय करनी पड़ती है। इन दिक्‍कतों को देखते हुए यूएई सरकार ने इस मंदिर के लिए जमीन देने का निर्णय किया था।

खासियत की बात करें तो यह मंदिर अबू धाबी से 30 मिनट की दूर पर हाईवे से सटे ‘अबू मुरेखा’ नामक जगह पर बनेगा।

इस मंदिर में शिव, कृष्‍ण और अयप्‍पा भगवान की मूर्तियां होंगी। अयप्‍पा को विष्‍णु भगवान का एक अवतार माना जाता है और केरल में इनकी पूजा होती है।

इस मंदिर के निर्माण की मुहिम चलाने वाले अबू धाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी बीआर शेट्टी हैं। वो ‘यूएई एक्‍सचेंज’ नामक कंपनी के एमडी और सीईओ हैं।

इसके साथ ही इस मंदिर परिसर में एक खूबसूसरत बगीचा और मन को मोहने वाला वॉटर फ्रंट होगा।

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इस मंदिर परिसर में पर्यटक केंद्र, प्रार्थना सभा के लिए स्थान, प्रदर्शनी और बच्चों के खेलने की जगह, संबंधित विषयों से जुड़े बगीचे, वॉटर फ्रंट, फूड कोर्ट, किताब और गिफ्ट की दुकानें होंगी।

ख़ास यह है कि इस मंदिर का निर्माण भारतीय शिल्पकार कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि मंदिर का निर्माण 2020 में पूरा हो जाएगा।

खबरों के मुताबिक़ बोचासनवासी श्री अक्षर पुरषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के प्रवक्ता ने बताया कि पश्चिम एशिया में पत्थरों से बना यह प्रथम हिंदू मंदिर होगा।

वहीं ट्रस्ट के एक सदस्य ने खलीज टाइम्स को बताया कि यह दिल्ली में बने बीएपीएस मंदिर और न्यू जर्सी में बन रहे मंदिर की प्रतिकृति होगी।

इस मंदिर की संरचना, निर्माण और प्रबंधन करने वाली बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मंदिर में इस्तेमाल होने वाले पत्थरों पर नक्काशी का काम भारत में शिल्पकार के जरिए किया जाएगा और फिर बाद में उसे यूएई में लाकर मंदिर को तैयार किया जाएगा।

यूएई और भारत सरकार के द्वारा इस मंदिर के निर्माण से लेकर इसके प्रबंधन तक का काम दिए जाने पर बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था खुद को सम्मानित और कृतज्ञ महसूस कर रही है।’

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