संविधान दिवस: ‘गुलामी की मानसिकता को खत्म करता है संविधान’, राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- राष्ट्रवादी सोच का सबसे बड़ा दस्तावेज

पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल यानी ‘संविधान सदन’ में बुधवार को 76वें संविधान दिवस का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारा संविधान गुलामी की मानसिकता को त्यागकर राष्ट्रवादी सोच अपनाने का मार्गदर्शक दस्तावेज है। उन्होंने तीन तलाक पर रोक, जीएसटी, अनुच्छेद 370 की समाप्ति और नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संविधान की भावना के अनुरूप ऐतिहासिक कदम बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान ने देश की आत्मगौरव और गरिमा को सुरक्षित रखा है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान की आत्मा ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक था, एक है और हमेशा एक रहेगा। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2024 में जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में भारी मतदान और हाल ही में बिहार चुनावों में महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी को लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बताया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संविधान एक जीवंत दस्तावेज है। अगर हम इसके अक्षरशः पालन करेंगे तो 2047 तक भारत निश्चित रूप से विकसित राष्ट्र बन जाएगा। उन्होंने संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने पर जोर देते हुए कहा कि यही विकास, न्याय, एकता और मानवता की गारंटी है।

कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, जेपी नड्डा, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत सभी गणमान्यों ने संविधान की प्रस्तावना को एक स्वर में पढ़ा।

राष्ट्रपति ने नौ भारतीय भाषाओं में संविधान की डिजिटल प्रति और ‘भारत के संविधान में कला और कैलिग्राफी’ पुस्तिका भी जारी की।

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